पेरिस की शांति (1783)

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पेरिस की शांति
Non-Native American Nations Control over N America 1783.png
सन १७८३ की पेरिस की शांति संधि होने के बाद उत्तरी अमेरिका का मानचित्र
प्रकार
हस्ताक्षरित3 सितम्बर, 1783
स्थानपेरिस, फ्रांस
प्रवर्तित25 नवम्बर, 1783
शर्तेंRatification by Great Britain with France - the United Provinces will only be signed in 1784
हर्ताक्षरकर्तागणDuke of Manchester
Daniel Hailes
For France: Vergennes
For Spain: Count of Aranda
For the United Provinces (May 20, 1784) For the Dutch: Mattheus Lestevenon and Gerard Brantsen
भागीदार पक्षग्रेट ब्रिटेन
फ्रांस
स्पेन
नीदरलैण्ड के संयुक्त राज्य
संपुष्टिकर्तासाँचा:flagicon image Kingdom of Great Britain
साँचा:flagicon image United States of America
साँचा:flagicon image Kingdom of France
साँचा:flagicon image Kingdom of Spain
साँचा:flagicon image Dutch Republic
भाषाएँ
  • English
  • French
  • Spanish
  • Dutch

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सन १७८३ की पेरिस की शांति कई सन्धियों के एक समूह का नाम है जिनके आधार पर अमेरिका का क्रांतिकारी युद्ध (ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच युद्ध ) समाप्त हुआ। ३ सितम्बर १७८३ को ग्रेट ब्रिटेन के किंग जॉर्ज तृतीय के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधियों के साथ पेरिस में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया, इसे ही प्रायः पेरिस की संधि (१७८३) कहा जाता है। इसके साथ ही वर्सेली (Versailles) में फ्रांस के राजा लुई सोलहवें एवं किंग चार्ल्स तृतीय के साथ भी दो सन्धियों पर हस्ताक्षर हुए। इन सन्धियों को प्रायः वर्सेली की संधि (१७८३) कहा जाता है।

पेरिस की संधि सम्पन्न होने पर इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ ने त्यागपत्र दे दिया था।

पेरिस संधि पर हस्ताक्षर ने अंततः ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच युद्ध को समाप्त कर दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ब्रिटेन से स्वतंत्रत होने की घोषणा करने और फिर कई वर्षों तक लड़ने के बाद, युद्ध का अन्त बहुत स्वागत योग्य था।

विवेचन

लार्ड कार्नवालिस का आत्म समर्पण इंग्लैण्ड के लिये भारी आघात था। ब्रिटिश संसद में युद्ध को समाप्त करने की माँग उठने लगी। युद्ध बंद हो गया, परन्तु परस्पर विरोधी हितों के कारण शांति-समझौते के मार्ग में बाधाएँ आ खड़ी हुईं। इंग्लैण्ड और अमेरिका शांति वार्ता के लिये उत्सुक थे, परन्तु फ्रांस और स्पेन अभी शांति वार्ता के विरुद्ध थे। वस्तुतः ये दोनों देश इंग्लैण्ड से कुछ और भूमि हथियाना चाहते थे। दोनों ने मिलकर अंग्रेजों के जिब्राल्टर द्वीप को जीतने का अथक प्रयास किया, परन्तु असफल रहे।

1782 ई. तक अमेरिकी प्रतीक्षा करते रहे। परन्तु अब उन्हें स्पष्ट हो गया कि फ्रांस को उनके हितों की तुलना में स्पेन के हितों की अधिक चिन्ता है। वस्तुतः फ्रांस चाहता था, कि पश्चिमी क्षेत्र स्पेन को दे दिया जाये। न तो इंग्लैण्ड और न ही अमेरिका यह चाहता था, कि अमेरिका में फिर कोई नया फ्रांसीसी अथवा स्पेनिश साम्राज्य स्थापित हो, अतः इंग्लैण्ड और अमेरिका में गुप्त बातचीत शुरू हो गयी। इस नए गठजोड़ से फ्रांस घबरा गया और अप्रैल, 1782 ई. में उसने शांति वार्ता की स्वीकृति प्रदान कर दी। शांति वार्ता लंबे समय तक चलती रही , और अन्त में 3 दिसंबर 1783 ई. को पेरिस की संधि पर हस्ताक्षर हुए।

पेरिस की संधि के अनुसार इंग्लैण्ड ने अपने भूतपूर्व तेरह अमेरिकी उपनिवेशों को स्वतंत्र मान लिया। उपनिवेशों की स्वतंत्रता और संप्रभुता स्वीकार कर ली गयी। नए संयुक्त राज्य की सीमा भी निर्धारित कर दी गयी। उसे पूर्व में एटलांटिक महासागर के तट से पश्चिम में मिसिसिपी नदी तक और उत्तर में कनाडा से दक्षिण में पूर्वी और पश्चिमी फ्लोरिडा तक का चिर अभिलषित क्षेत्र दिया गया। संयुक्त राज्य की ये सीमाएँ आज भी उसी रूप में मान्य हैं। अमेरिकी मछुआरों को न्यूफाउण्डलैण्ड के तट और लारेन्स की खाड़ी में मछली पकड़ने की पूर्ववत छूट बनी रही। इसके बदले में अमेरिकी कांग्रेस ने ब्रिटेन की एक बड़ी चिन्ता दूर करने का आश्वासन दिया। यह चिन्ता थी, अमेरिका में रहने वाले हजारों राजभक्तों की, जिन्होंने इस संघर्ष में इंग्लैण्ड का साथ दिया था। युद्ध के दिनों में इन लोगों को बहुत सी कठिनाइयाँ सहन करनी पड़ीं। उनके खेत छिन गये, धन-दौलत और घर-बार से हाथ धोना पड़ा। लोग उन्हें "टूरीज" कहकर अपमानित करते थे। ब्रिटिश सरकार चाहती थी, कि उन लोगों को उनके खेत और धन संपत्ति वापस कर दी जाये। कांग्रेस ने सभी राज्यों से टूरीज के अधिकारों की सुरक्षा और उनकी सम्पत्ति की वापसी की सिफारिश करने का आश्वासन दिया, परन्तु इसका उन लोगों को कम ही लाभ पहुँचा जो अपना घर बार या धन दौलत गँवा चुके थे।

पेरिस की संधि सम्पन्न होने पर इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ ने त्यागपत्र  दे दिया था।

पेरिस की संधि से फ्रांस को विशेष लाभ नहीं मिल पाया। उसे केवल पश्चिमी द्वीप समूह में टोबेगो तथा अफ्रीका में सेनेगल के प्रदेश मिले। सेंट लारेन्स की खाड़ी और न्यूफाउण्डलैण्ड के निकट मछली पकड़ने के अधिकार भी मिल गये। स्पेन को भूमध्यसागर में मिनोको द्वीप प्राप्त हुआ और अमेरिका में फ्लोरिडा का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र भी मिल गया। हालैण्ड को विशेष लाभ नहीं मिला। उलटे उसे दक्षिण-पूर्वी भारतीय समुद्र तट पर स्थित नेगापट्टम का बंदरगाह इंग्लैण्ड को लौटाना पड़ा। बदले में हालैण्ड को कुछ व्यापारिक सुविधाएं प्रदान की गयीं। इस प्रकार पेरिस (वर्साय) की संधि के साथ अमेरिका के स्वतंत्रता संघर्ष का अंत हुआ।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें