पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र, जिसे भू-चुंबकीय क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। वही चुंबकीय क्षेत्र है जो पृथ्वी के आंतरिक भाग में से अंतरिक्ष में फैलता है। जहां ये सूर्य से आ रही सौर पवन(solar wind) और चार्ज कणों से पृथ्वी को बचाता है।
इन कणों की गति पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होती है। और यह स्वयं भी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। व्यवस्था मैं परिवर्तन ला सकते हैं।
पृथ्वी के बाहरी कोर में पिघले हुए लोहे और निकल के मिश्रण की संवहन धाराओं की गति के कारण विद्युत धाराओं उत्पन्न होती है, और पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण वो विद्युत धाराओं में से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह प्रक्रिया कुछ वैसे ही काम करती है जैसे साइकिल पर डायनेमो लाइट। जब साइकिल को चलाया जाता है, तब डायनेमो में मौजूद चुम्बक घूमने लगते हैं। जिसकी वजह है विद्युत प्रवाह उत्पन होता है। जिस से बल्ब जलाया जाता है। अब अगर बल्ब की जगह विद्युत प्रवाह को एक जगह पर रोटेट किया जाय तो वो एक विद्युत चुंबक बनाए जाएगा। ठीक वैसे ही पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। अब ऊपर हमने जिस संवहन धाराओं कि बात की वो संवहन धाराएँ कोर से निकलने वाली गर्मी से उत्पन्न होती हैं। जिसे एक प्राकृतिक प्रक्रिया जियोडायनामो कहा जाता है। [१]
परिचय
क्रोड के अक्ष ध्रुव पर चुंबकीय तीव्रता 5 गाउस है। निर्बाध विलंबित (freely suspended) चुंबकीय सुई से दिक्पात, अर्थात चुंबकीय बलरेखा और क्षितिज के बीच का कोण, ज्ञात होता है। विश्व की अनेक चुंबकीय वेधशालाओं में नियमित रूप से चुंबकीय अवयवों का मापन निरंतर किया जाता है। ये अवयव हैं, दिक्पात (D), नति (I), तथा पार्थिव चुंबकीय क्षेत्र की संपूर्ण तीव्रता (F), जिसके घटक, (H), (X), (Y) तथा (Z) हैं। इन अवयवों का दीर्घकालीन परिवर्तन, शताब्दियों बाद हुआ करता है। क्यूरी (Curie) बिंदु से निम्न ताप पर शीतल हुआ ज्वालामुखी लावा, जमती हुई तलछट और प्राचीन ईंट, प्रेरित चुंबकत्व का अध्ययन पैलियोमैग्नेटिज्म (Palaeomagnetism) कहलाता है और शताब्दियों, सहस्त्राब्दियों, या युगों पूर्व के भूचुंबकीय परिवर्तनों की जानकारी प्रदान करता है।
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होनेवाले बड़े विक्षोभों को चुंबकीय तूफान कहते हैं। चुंबकीय तूफानों की तीव्रता ध्रुवीय प्रकाश के क्षेत्रों में सर्वाधिक होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि सूर्य से निष्कासित, आयनित गैसों की धाराओं या बादलों से, जो पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं, चुंबकीय तूफानों की उत्पति होती है। असामान्य सूर्य धब्बों की सक्रियता के अवसरों पर अनियमित या क्षणिक चुंबकीय परिवर्तन हुआ करते हैं। माप के लिये अनेक प्रकार के चुंबकत्वमापी हैं। निरपेक्ष चुंबकत्व किसी कुंडली में प्रवाहित विद्युतद्धारा के ज्ञात क्षेत्र और भूचुबंकीय क्षेत्र की तुलना पर आधारित होते हैं। परिवर्ती प्रेरकत्व (variometers) गौण यंत्र है और सापेक्ष मापन करते हैं। फ्लक्स गेट (flux gate) चुंबकत्वमापी और प्रोटॉन चुंबकत्वमापी अधिक सूक्ष्मग्राही हैं।jjjjjj
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- भारतीय भूचुम्बकत्व संस्थान
- USGS Geomagnetism Program. Real time monitoring of the Earth's magnetic field. U.S. Department of the Interior, U.S. Geological Survey, February 17, 2005.
- Geomagnetism. National Geophysical Data Center, NOAA. Apr-2009.
- BGS Geomagnetism. Information on monitoring and modelling the geomagnetic field. British Geological Survey, August 2005.
- William J. Broad, "Will Compasses Point South?". New York Times, July 13, 2004.
- John Roach, "Why Does Earth's Magnetic Field Flip?". National Geographic, September 27, 2004.
- "Magnetic Storm". PBS NOVA, 2003. (ed. about pole reversals)
- "When North Goes South". Projects in Scientific Computing, 1996.
- "3D Earth Magnetic Field Charged-Particle Simulator" Tool dedicated to the 3d simulation of charged particles in the magnetosphere.. [VRML Plug-in Required]
- साँचा:cite web
- https://web.archive.org/web/20080905113925/http://blackandwhiteprogram.com/interview/dr-dan-lathrop-the-study-of-the-earths-magnetic-field - Interview with Dr. Dan Lathrop, Geophysicist at the University of Maryland, about his experiments with the Earth's core and magnetic field. 7 - 3 - 2008
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