पुरोहित

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कोलकाता के एक घाट पर एक तीर्थ पुरोहित

पुरोहित वह प्रधान याजक जो राजा या और किसी यजमान के यहाँ अगुआ बनकर यज्ञ आदि श्रौतकर्म, गृहकर्म और संस्कार तथा शांति आदि अनुष्ठान करे-कराए। आजकल कर्मकाण्ड करनेवाला, कृत्य करनेवाला ब्राह्मण पुरोहित कहलाता है। वैदिक काल में पुरोहित का बड़ा अधिकार था और वह मंत्रियों में गिना जाता था। पहले पुरोहित यज्ञादि के लिये नियुक्त किए जाते थे। आजकल वे कर्मकांड करने के अतिरिक्त, यजमान की और से देवपूजन आदि भी करते हैं, यद्यपि स्मृतियों में किसी की ओर से देवपूजन करनेवाले ब्राह्मण का स्थान बहुत नीचा कहा गया है। पुरोहित का पद कुलपरम्परागत चलता है। अतः विशेष कुलों के पुरोहित भी नियत रहते हैं। उस कुल में जो होगा वह अपना भाग लेगा, चाहे कृत्य कोई दूसरा ब्राह्मण ही क्यों न कराए। [१]

आचार्य श्री राम शर्मा, यज्ञाग्नि को ही पुरोहित कहते हैं। वे कहते हैं कि पुरोहित वह है जो मार्ग दिखाता है, उपदेश करता है और हम सबको गलत रास्ते से घसीटकर सही रास्ते पर ले आता है। ऐसे आदमी का, ऐसे मार्गदर्शक का नाम पुरोहित है।[२]

पुरोहित राजा का उपदेशक, पथप्रदर्शक, दार्शनिक और विश्वासी मित्र होता था।[३]

सन्दर्भ

  1. पुरोहित (हिन्दी शब्दसागर)
  2. यज्ञाग्नि हमारी पुरोहित
  3. प्राचीन भारत का राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास, पृष्ठ ३० स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (लेखक-धनपति पाण्डेय)

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