पास्कल का सिद्धान्त

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Hydraulic Force, language neutral.png
पास्कल का सिद्धान्त: जल-स्तम्भ के दबाव के कारण पीपे (barrel) का फटना। सन् १६४६ में पास्कल ने यही प्रयोग किया था।

पास्कल का सिद्धान्त या पास्कल का नियम द्रवस्थैतिकी में दाब से सम्बन्धित एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इसे फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने प्रतिपादित किया था।

यह सिद्धान्त इस प्रकार है -

सब तरफ से घिरे तथा असंपीड्य (incompressible) द्रव में यदि किसी बिन्दु पर दाब परिवर्तित किया जाता है (घटाया या बढ़ाया जाता है) तो उस द्रव के अन्दर के प्रत्येक बिन्दु पर दाब में उतना ही परिवर्तन होगा।
पास्कल के सिद्धांत को परिभाषित किया गया है आराम से एक संलग्न तरल पदार्थ में किसी भी बिंदु पर दबाव में परिवर्तन द्रव में सभी बिंदुओं तक पहुंच से बाहर है।  वैकल्पिक परिभाषा: संलग्न तरल के किसी भी भाग पर लागू दबाव तरल के माध्यम से सभी दिशाओं में समान रूप से प्रसारित किया जाएगा।

पास्कल का नियम :- किसी भी बंद द्रव्य पर कम क्षेत्र पर कम बल लगाकर बड़े क्षेत्र पर अधिक मात्रा में बल प्राप्त किया जा सकता है यही पास्कल का नियम हैं

पास्कल के सिद्धांत को परिभाषित किया गया है

संलग्न तरल के किसी भी भाग पर लागू दबाव तरल के माध्यम से सभी दिशाओं में समान रूप से प्रसारित किया जाएगा।

सूत्र

  • h1 और h2 गहराई पर स्थित दो बिन्दुओं पर दाब का अन्तर :
<math>P_2 - P_1= \rho g (h_1-h_2)\,</math>

जहाँ <math>\rho</math> (rho), द्रव का घनत्व हत तथा g गुरुत्वजनित त्वरण है।

अतः h गहराई पर स्थित किसी भी बिन्दु पर दाब का मान निम्नलिखित सूत्र से प्राप्त किया जा सकता है:

<math>P = P_0 - \rho g h\,</math>

जहाँ P0 द्रव की सतह पर दाब का मान है। यदि द्रव 'खुली हवा' में है तो P0 = [[वाणुमण्डलीय दाब)

  • सब प्रकार से घिरे किसी द्रव के Si क्षेत्रफल पर Fi बल लगाया जाय और उसके परिणामस्वरूप द्रव के किसी अन्य क्षेत्रफल Sf पर Ff बल लगे तो
<math>F i/S i = F f/S f\,</math>


उपयोग



जल टंकी अधिक ऊंचाई पर होने के कारण नाल की धार तेज होती है