पाल तारामंडल
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पाल या वीला (अंग्रेज़ी: Vela) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक नौका के पाल की आकृति बनाई जा सकती है। पाल हवा पकड़कर नौका धकेलने वाली चादर होती है, जिसे अंग्रेज़ी में "सेल" (sail) कहते हैं। "वीला" लातिनी भाषा में "पाल" के लिए शब्द है।
तारे
सारस तारामंडल में ५ मुख्य तारे हैं, हालांकि वैसे इसमें ५० तारों को बायर नाम दिए जा चुके हैं। इनमें से ५ के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए पाए गए हैं। इस तारामंडल के मुख्य तारे और अन्य वास्तुएँ इस प्रकार हैं -
- गामा वलोरम (γ Velorum) - यह एक महादानव तारा है जो पृथ्वी से आकाश में दिखने वाला ३४वाँ सब से रोशन तारा है और पाल तारामंडल का सब से रोशन तारा है। वास्तव में यह पाँच तारों का एक मंडल है जिसके तारे एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षक बंधन रखते हैं। इसका मुख्य तारा आकाश में दिखने वाला सबसे रोशन वुल्फ़-रायेट तारा है।
- नकली काँटा (False Cross) - यह चार तारों का समूह है, जिसमें पाल तारामंडल के डॅल्टा वलोरम (δ Vel) और कापा वलोरम (κ Vel) और कराइना तारामंडल के आयोटा कराइनी (ι Car) और ऍप्सिलन कराइनी (ε Car) शामिल हैं। आकाश में कभी-कभी यह त्रिशंकु तारामंडल (सदर्न क्रॉस) जैसे लगते हैं, जिसकी वजह से रेगिस्तान या समुद्र में सितारों से दिशा ढूँढने वाले यात्री भ्रमित होकर अपने मार्ग से भटक सकते हैं।
- ऍन॰जी॰सी॰३१३२ (NGC 3132) - यह पृथ्वी से २,००० प्रकाश-वर्ष स्थित एक ग्रहीय नीहारिका है (यानि एक तारे के इर्द-गिर्द फैला हुआ नीहारिका का बादल)। इसे "आठ-धमाका नीकरिका" (Eight-burst nebula) भी कहते हैं। इस नीहारिका के अलावा पाल तारामंडल में ३२ और ग्रहीय नीहरिकाएँ ज्ञात हैं।
- पाल महानोवा अवशेष (Vela supernova remnant) - यह आज से १०,००० साल पूर्व एक महानोवा (सुपरनोवा) विस्फोट में ध्वस्त हुए तारे के अवशेष हैं। यहाँ एक धमाके से बनी नीहारिका और उसमें स्थित एक छोटा-सा पल्सर है। यह दूरबीन द्वारा देखा जाने वाला पहला पल्सर था।
- गम नीहारिका (Gum nebula) - यह एक दस लाख साल पहले हुए महानोवा विस्फोट की बची हुई नीहारिका (नेब्युला) है। यह फैल कर छित्तर गई है और बहुत धुंधली हो गई है, लेकिन इसका फैलाव अभी भी जारी है। इसका नाम इसके खोजकर्ता, ऑस्ट्रेलियाई खगोलशास्त्री कॉलिन गम, पर रखा गया था। इस नीहारिका का बादल फैलकर इतना विस्तृत हो चुका है कि पृथ्वी के आकाश में आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के बाद यही दूसरी सब से चौड़ी खगोलीय वस्तु नज़र आती है।[१]