पानरवा
पानरवा राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में उदयपुर जिले के झाड़ोल तहसील में स्थित एक गांव है, जो कि मेवाड़ राज्य का एक प्रमुख ठीकाणा हुआ करता था, जिसके शासक सोलंकी राजपूत शाखा से थे।[१]
इतिहास
सन 1478 ईसवी में रावत अक्षयराज सोलंकी ने, जो कि पाटन के सोलंकी राजाओं के वंशज थे, भोमट में प्रवेश किया और यहाँ के शासक जीवराज यादव को मारकर पानरवा पर अपना अधिकार स्थापित किया।साँचा:sfn यहाँ के स्थानीय भील गमेतियों ने उनकी सत्ता स्वीकार की और उनकी सेवा में प्रवेश किया।
सोलहवीं शताब्दी में रावत हरपाल पानरवा के शासक थे। जब महाराणा उदयसिंह ने भोमट में प्रवेश किया तो रावत हरपाल ने राणा उदयसिंह की बहुत सहायता की जिससे प्रसन्न होकर रावत हरपाल को राणा की पदवी दी गई। तभी से पानरवा के सोलंकी शासकों की पदवी राणा की रही। साँचा:sfn राणा हरपाल के दूसरे पुत्र, नाहरसिंह के ओगणा पर अपना अधिकार जमाया और उनके वंशज ओगणा के शासक बने।
राणा हरपाल के बाद राणा दूदा और दूदा के बाद, दूदा के पुत्र राणा पूंजा पानरवा के शासक बने। राणा पूंजा ने महाराणा प्रताप की युद्ध में सहायता की थी।साँचा:sfn
मेवाड़ राज्य की तरफ़ से पानरवा के सोलंकी राजपूत शासकों को पहले द्वितीय और फिर प्रथम श्रेणी की न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की गई थी।[२]
वर्तमान प्रमुख
पानरवा राजपरिवार के वर्तमान प्रमुख राणा मनोहर सिंह सोलंकी है।साँचा:sfn
जैव विविधता
तेंदुआ, उड़ने वाली गिलहरी, मगरमच्छ, विभिन्न सांप, मून मोथ, टसर, स्लॉथ बीयर, लोमड़ी, हैना, जैकाल, कॉमन केवेट, मोंगोज, चार सींग वाले मृग, भारतीय साही, पेल हेज हॉग, फाउल, फ्रांसोलिन, बटेर, विभिन्न दुर्लभ प्रजातियां आदि पाए जाते है। महुवा, बुरा, पीपल, गूलर, बहेडा, सआद, करंज, खजूर, गोडल, सालार, बेर, घटबोर, कड़ाया, खिरनी, चुरेल, गंगेरन, सफ़ेद, ढोक, इंडोक, बेल, कोतबाड़ी, जंगली केला, आदि।[३]
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