परिसम्पत्ति
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वित्तीय लेखांकन में, परिसम्पत्ति (साँचा:lang-en) एक आर्थिक संसाधन है। हर मूर्त या अमूर्त वस्तु जिसका मूल्योत्पादन के लिए स्वामी बना जा सके या नियन्त्रण किया जा सके और जिसके पास धनात्मक आर्थिक मूल्य हो, परिसम्पत्ति मानी जाती है। सरल शब्दों में, परिसम्पत्तियाँ स्वामित्व के मूल्य का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो कैश में रूपान्तरित किये जा सकें (यद्यपि, कैश स्वयं एक परिसम्पत्ति मानी जाती है)।[१]
परिसम्पत्ति से आशय उद्यम के आर्थिक स्रोत से है जिन्हें मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता है, जिनका मूल्य होता है और जिनका उपयोग व्यापर के संचालन व आय अर्जन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, मशीन, भूमि, भवन, ट्रक, आदि।
औपचारिक परिभाषा
भूतपूर्व घटनाओं के कारण सत्त्व द्वारा नियन्त्रित संसाधन और जिससे सत्त्व को भावी आर्थिक लाभ प्रवाहित होना अपेक्षित हो, परिसम्पत्ति है।[२]
प्रकार
परिसम्पत्तियों के निम्नलिखित प्रकार है :-
स्थायी परिसम्पत्तियाँ (Fixed Assets) : स्थायी परिसम्पत्तियों से आशय उन परिसम्पत्तियों से है जो व्यवसाय में दीर्घकाल तक रखी जाने वाली होती हैं और जो पुनः विक्रय के लिए नहीं हैं। जैसे - भूमि, भवन, मशीन, उपस्कर आदि।
चालू परिसम्पत्तियाँ (Current Assets) : चालू परिसम्पत्ति से आशय उन सम्पत्तियों से है जो व्यवसाय में पुनः विक्रय के लिए या अल्पावधि में रोकड़ में परिवर्तित करने के लिए रखी जाती हैं। इसलिए इन्हें चालू सम्पत्तियाँ, चक्रीय सम्पत्तियाँ और परिवर्तनशील सम्पत्तियाँ भी कहा जाता है। उदाहरण : देयता, पूर्वदत्त व्यय, स्टॉक, प्राप्य बिल, आदि।
अमूर्त परिसम्पत्तियाँ (Intangible Assets) : अमूर्त परिसम्पत्ति वे सम्पत्तियाँ हैं जिनका भौतिक अस्तित्व नहीं होता है, किन्तु उनका मौद्रिक मूल्य होता है। जैसे - ख्याति, ट्रेडमार्क, पेटेण्ट्स, इत्यादि।
मूर्त परिसम्पत्तियाँ (Tangible Assets) : मूर्त परिसम्पत्ति वे सम्पत्तियाँ हैं जिन्हें देखा तथा छूआ जा सकता हो अर्थात जिनका भौतिक अस्तित्व हो। जैसे - भूमि, भवन, मशीन, संयंत्र, उपस्कर, स्टॉक, आदि।
क्षयशील परिसम्पत्तियाँ (Depreciating Assets) : क्षयशील परिसम्पत्तियाँ वे सम्पत्तियाँ हैं जो प्रयोग या उपभोग के कारण घटती जाती हैं या नष्ट हो जाती हैं। उदाहरण - खानें, तेल के कुँए, आदि।