परशुराम ठाकुर ब्रह्मवादी
आचार्य परशुराम ठाकुर ब्रह्मवादी | |
---|---|
अपनी पुस्तक मूल भाषा विज्ञान के साथ | |
जन्म |
परशुराम ठाकुर ब्रह्मवादी 01 January 1948 गोनेई ,मुंगेर बिहार ,भारत |
आवास | बिहार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | लेखक ,इतिहासकार ,पुरातत्व विद |
कार्यकाल | – वर्तमान |
गृह स्थान | भागलपुर ,बिहार |
प्रसिद्धि कारण | विक्रमशिला का इतिहास पुस्तक |
धार्मिक मान्यता | हिन्दू |
परशुराम ठाकुर ब्रह्मवादी भारत के एक खोजी इतिहासकार, पुरातत्वविद एवं अंगिका भाषा के [१] विद्वान हैं।
परशुराम ठाकुर ने अपने चालीस वर्षों के ऐतिहासिक अनुसंधान कार्य के द्वारा विश्व इतिहास को एक नई दिशा प्रदान की है। भारतीय इतिहास कांग्रेस के सदस्य रह चुके ब्रह्मवादी के अनेकों ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं जिनमे सृष्टि का मूल इतिहास [२], अंगिका भाषा उद्भव और विकास, इतिहास को एक नई दिशा, प्राचीन बिहार की शिक्षा संस्कृति का इतिहास, मूल भाषा विज्ञान , आर्य संस्कृति का उद्भव विकास, विक्रमशिला का इतिहास ,[३][४]आर्यों का मूल क्षेत्र: अंगदेश , मंदार : जहाँ से प्रकट हुई गंगा आदि शामिल है। इन्होंने अपने शोध के द्वारा यह साबित किया है कि सृष्टि का आदि और मूल क्षेत्र अंगदेश ही है, जहाँ से सारी सभ्यता का उद्भव और विकास हुआ। इनके मान्यतानुसार आर्यों का मूल क्षेत्र अंगदेश ही था और यहीं से वो बाहर गये। भारतीय इतिहास कांग्रेस के ६१वें सेमिनार में इन्होनें भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो० रामशरण शर्मा की मान्यताओं पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए सारे प्रमाण के साथ यह साबित किया कि आर्य अंगदेश के ही मूल निवासी थे और उनकी मूलभाषा अंगिका ही थी। ब्रह्मवादी की कुछ पुस्तकें लाईब्रेरी ऑफ कांग्रेस, अमेरिका में शामिल है।