परलीका
परलीका, राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील का एक प्रमुख गाँव है। श्री गंगानगर-दिल्ली मार्ग पर स्थित यह गाँव नोहर के उत्तर-पूर्व दिशा में १४ किलोमीटर दूरी पर पड़ता है। प्रसिद्ध देवस्थान गोगामेड़ी की दूरी भी परलीका से १५ किलोमीटर है।
वर्तमान स्वरूप में आबाद होने से पहले यह एक विशाल गाँव था। जो १५ वर्ग किलोमीटर में १२ भागों में विभक्त था। हकड़ा नदी की बाढ़ की चपेट में आने से पूरा गाँव तहस-नहस हो गया। प्राचीन गाँव दस अवशेष कहीं-कहीं अब भी देखने की मिलते हैं। प्राचीन गाँव में विक्रम संवत १५४५ माघ बदी पंचमी को ब्राह्मणी चावली देवी यहाँ सती हुई थी। जिसका मंदिर भी यहाँ है।
बड़े-बुजुर्गों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान गाँव को वैसाख सुदी तीज विक्रमी संवत १८६० को रामुजी बैनीवाल ने बसाया। वे धोलिया गाँव से आये। बाद में रुपोजी बैनीवाल करणपुरा से आये। दोनों के सहयोग से यह गाँव बसा। रामुजी के वंसज धोलिया व रुपोजी के वंसज कालिया बैनीवाल कहलाते है।
इस गाँव की वर्तमान आबादी लगभग १० हजार है तथा रकबा ४४ हजार बीघा है। भाखड़ा सिंचाई परियोजना की नेठराना वितरिका रसे सिंचाई होती है। भूमि उपजाऊ है, लोगों का मुख्य धंधा खेती है। नलकूपों से भी सिंचाई होने लगी है, मगर अधिंकाश खेती वर्षा पर निर्भर है। गाँव में हिन्दू-मुसलमान व सिक्ख धर्मो को मानने वाली अधिकांश जातियों के लोग मेलजोल से रहते हैं।
गाँव में लगभग सभी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध है। साहित्यिक दृष्टी से इस गाँव ने विशेष ख्याति अर्जित की है। यहाँ के कई लोग देशभर के नगरों व शहरों में अपना निजी कारोबार करते हैं। जिनका गाँव के विकाश में महत्वपूरण योगदान है।