पंक्ति छंद
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वेदों में प्रयुक्त एक छंद है। इसमें कुल - ४० वर्ण (मात्रा) होते हैं। पङक्ति कहने का मूल पाँच पादों से हैं। यानि इन्ही ४० मात्राओं से अनुष्टुप [१] (या गायत्री) के पाँच पाद बनते हैं - क्योंकि उनके एक पाद में आठ मात्राएँ होती हैं। उदाहरण - ऋग्वेद में मिलता है -