नानक भील
यह लेख सामान्य उल्लेखनीयता निर्देशों के अनुरूप नहीं है। कृपया विषय के बारे में विश्वसनीय स्रोत जोड़कर उल्लेखनीयता स्थापित करने में सहायता करें। यदि उल्लेखनीयता स्थापित न की जा सकी, तो लेख को विलय, पुनर्निर्देशित अथवा हटाया जा सकता है।
साँचा:find sources mainspace |
अमर शहीद नानक भील का जन्म 1890 में बराड़ के धनेश्वर गांव में हुआ । इनके पिता का नाम भेरू भील था । यह बचपन से ही बहादुर निडर साहसी और एक जागरुक व्यक्ति रहे । नानक भील गोविंद गुरु और मोतीलाल तेजावत द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन से काफी प्रभावित रहे । इन्होंने अपने क्षेत्र में आम किसानों जनता को अपने अधिकारों और अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिए जागरूकता बड़ाई। नानक भील ने अपने क्षेत्र में झंडा गीतों के माध्यम से अंग्रेजों का विरोध किया और अपने क्षेत्र के आम लोगों को अंग्रेजो के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रेरित किया । यह अपने झंडा गीतों के माध्यम से लोगों में एक नया उत्साह भर देते थे ।
13 जून 1922 में डाबी गांव में किसानों की बैठक रखी गई थी वहीं पर अचानक से अंग्रेज पुलिस ने आकर फायरिंग कर दी और इस गोलाबारी से महा आम किसानों में भगदड़ मच गई लेकिन नानक भील ने झंडा लहराते हुए अंग्रेजों का विरोध किया और झंडा गीत गाते हुए अंग्रेजों का विरोध किया और इसी दौरान वहां पुलिस ने नानक भील को सीने पर गोली मारी और इस प्रकार भारत देश का एक वीर सपूत शहीद हो गया लेकिन नानक भील की शहादत व्यर्थ नहीं गई , नानक भील के इस महत्वपूर्ण कदम से अंग्रेजों की शासन व्यवस्था में कुछ परिवर्तन आया और किसानों और आम जनता में को राहत मिली और उनमें एक नव जागृति पनपी और आम लोगों ने खुद के लिए लड़ना शुरू किया। अमर शहीद नानक भील जी की स्मृति में मूर्तियां स्थापित की गई और मेले का आयोजन होता है।