नाथाजी और यामाजी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

नाथाजी पटेल और यामाजी पटले भारत मे ब्रिटिश राज के दौरान चन्दप गांव 'जिसे चांडप भी बोला/लिखा जाता है' के कोली पटेल थे। यह गांव उनके अधीन था। नाथाजी और यामाजी ने १८५७ के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मे अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाए थे।[१][२]

नाथाजी पटेल और यामाजी पटेल
जन्म चांडप
मृत्यु १८५७
चांडप
मृत्यु का कारण गोली लगना
राष्ट्रीयता भारतीय
व्यवसाय चांडप के पटेल (जागीरदार)
नियोक्ता बड़ौदा के महाराजा गायकवाड़
प्रसिद्धि कारण भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मे नायक
धार्मिक मान्यता हिन्दू

नाथाजी और यामाजी हर वर्ष बड़ौदा रियासत को हर वर्ष कुछ कर अदा करते थे यानीकी चन्दप जागीर के रुप में बड़ौदा रियासत के अधीन थी।[१][३]

क्रांतिकारी गतिविधियों

१८५७ की क्रांती के दौरान चन्दप गांव के कोलीयों मे भी विद्रोह की महक उठ रही थी इसी को मद्देनजर रखते हुए अंग्रेजों की मित्र रियासत बड़ौदा के महाराजा को इस बात की खबर मिली तो महाराजा गायकवाड़ ने चन्दप मे विद्रोह ना हो इसके लिए घुड़सवार तैनात कर दिए जिसका विरोध नाथाजी और यामाजी ने किया।[१][३]

चन्दप गाव के कोलीयों ने घुड़सवारों को मार डाला और थाने पर भी हमला कर दिया।[४] जिसके बाद इडर रियासत, बड़ोदा रियासत और ब्रिटिश सरकार ने सेना भेजी लेकिन विद्रोह किये हुए कोली पास की पहाड़ियों में चले गए और विद्रोह जारी रखा। १४ अक्टूबर १८५७ को अंग्रेजों ने चारों तरफ घेराबंदी कर दी और सभी संचार माध्यम काट दिए।[१][३]

इस विद्रोह मे सभी छोटे-छोटे और महीलाओं ने भी हथियार उठाए थे[२]

अक्टूबर मे बड़ौदा रियासत, इडर रियासत और ब्रिटिश सेना ने मिलकर विद्रोह को दफ़न करने के लिए जला कर राख कर दिया जिसका असर अनेकों जगहों पर देखने को मिला। जैसे ही चंडप गांव को उड़ा दिया गया उसके बाद गुजरात के विजापुर, वड़नगर और खेरालु मे विद्रोह भड़क उठा।[५]

संदर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  4. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  5. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।