नरेन्द्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह
शपथ ग्रहण के दौरान भारत के १५वें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। | |
तिथि | २६ मई २०१४ |
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समय | सायं ०६:०० बजे (भारतीय मानक समय) |
स्थान | राष्ट्रपति भवन |
निर्देशांक | साँचा:coord |
भारतीय जनता पार्टी के संसदीय अध्यक्ष नरेन्द्र मोदी का २६ मई २०१४ से भारत के १५वें प्रधानंत्री का कार्यकाल आरम्भ हुआ।[१][२] मोदी के साथ ४५ अन्य मंत्रियों ने भी समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की।[३] मोदी सहित कुल ४६ में से ३६ मंत्रियों ने हिन्दी में शपथ ली जबकि अन्य १० ने अंग्रेज़ी में शपथ
पृष्ठभूमि
१६ मई २०१४ को आम चुनावों के परिणाम घोषित होने के बाद २० मई को मोदी भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले। मुखर्जी ने मोदी को अगली सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। भाजपा ने इस चुनाव में २८२ सीटें जीती हैं जबकि उनके गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने कुल ३३६ लोक सभा सीटों पर जीत दर्ज की।[४] यह १९८४ के चुनाव के बाद अब तक का सबसे अधिक बहुमत है जो किसी एक पार्टी अथवा दल को मिला हो। १९८४ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विजयी रही थी।[५] तब मोदी ने २६ मई २०१४ को शाम ०६:०० बजे शपथ ग्रहण करने की घोषणा की।[१]
समारोह
शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन प्रांगण में हुआ। इससे पहले केवल पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर (१९९०, समाजवादी जनता पार्टी) और अटल बिहारी वाजपेयी (१९९६ और १९९८, भाजपा) ने शपथ ग्रहण की।[६] दरबार हॉल एक अन्य सम्भावित स्थान था लेकिन इसकी दर्शक क्षमता ५०० तक सीमित होने के कारण अस्वीकृत कर दिया गया। भाजपा ने संकेत दिया कि समारोह खुले मैदान पर की जा सकती है। इससे पहले नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ भी खुले मैदान में ले चुके हैं।[७]
आमंत्रितगण
अतिथि सूची में विभिन्न राज्यों और राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष सहित सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है। अतः इस घटना को वृहत "प्रमुख राजनयिक घटना" के रूप में भी देखा जा रहा है।[८][९]
अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्ति
सार्क देशों के प्रमुखों ने समारोह में भाग लिया।[१०]
- साँचा:flag – राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने समारोह में भाग लेने का निमंत्रण स्वीकार किया।[११] वो अफ़्गानिस्तान में चल रहे राष्ट्रपति चुनाव से समय निकालकर भारत आये।[१२]
- साँचा:flag – प्रधानमंत्री शेख हसीना जापान की यात्रा पर होने के कारण स्वयं नहीं आ सकीं अतः उन्होंने अपने प्रतिनिधि के तौर पर बांग्लादेश की संसद की अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी ने निमंत्रण स्वीकार किया।[१३][१४]
- साँचा:flag – प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने समारोह में भाग लिया और दोनों देशों के द्विपक्षीय सम्बंधों पर चर्चा के लिए २७ मई का दिन सुरक्षित रखा।[१५]
- साँचा:flag – मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम ने समारोह में हिस्सा लिया।[१६][१७]
- साँचा:flag – मॉरिशस के प्रधानमंत्री नवीनचन्द्र रामगुलाम ने समारोह में उपस्थित होना स्वीकार किया।[१८]
- साँचा:flag – नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने निमंत्रण स्वीकार किया।[१९]
- साँचा:flag – २४ मई को नवाज़ शरीफ़ ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया जिसके बाद में भारतीय राजनेताओं ने इसपर जोरदार प्रतिक्रिया दी।[२०] नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुला ने इसपर खुशी जताई कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने मोदी का शपथ ग्रहण समारोह में आना निमंत्रण स्वीकार किया। उनके अनुसार यह भारत-पाक सम्बंधों में एक नये अध्याय की शुरुआत होगी।[२१] राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (राजग) घटक शिव सेना जो पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण विरोधी है ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को निमंत्रण भेजे जाने का विरोध किया।[२२] इस निमंत्रण को दोनो देशों की जनता के लिए एक शुभ संकेत की तरह देखा गया।[२३] पाकिस्तानी पत्रकारों और राजनेताओं ने प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के भारत यात्रा करने और समारोह में भाग लेने का स्वागत किया। स्वतंत्रता के बाद यह पहला मौका था जब एक तरफ के प्रधानमंत्री ने अन्य तरफ के प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया हो।[२४]
- साँचा:flag – राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे को समारोह में निमंत्रण देना तमिलनाडु नेताओं के बीच आलोचना का विषय बन गया।[२५] ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) और राजग का घटक दल मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एमडीएमके) नेताओं ने नरेन्द्र मोदी सरकार के श्रीलंकाई प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने के फैसले की आलोचना की।[२६][२७] एमडीएमके प्रमुख वाइको ने मोदी से मुलाकात की और निमंत्रण का फैसला बदलवाने की कोशिश की जबकि कांग्रेस नेता भी एमडीएमके और अन्न द्रमुक आमंत्रण का विरोध कर रहे थे।[२८] सभी तरफ से कड़े विरोध के बीच नरेन्द्र मोदी के श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिन्दा राजपक्षे को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित करने पर माकपा ने इस अवसर को तमिल समस्या पर बात करने का अच्छा समय बनाने का सुझाव दिया।[२९] एक तमिल छात्र संघ ने दिल्ली में राजपक्षे के विरोध में २५ मई २०१४ को प्रदर्शन किये।[३०]
श्रीलंका और पाकिस्तान ने भारतीय मछुवारों को रिहा किया। मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित देशों के इस कदम का स्वागत किया।[३१]
राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्ति
इस समारोह में भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया था। इनमें से कर्नाटक के मुख्यमंत्री, सिद्धारमैया (कांग्रेस) और केरल के मुख्यमंत्री, उम्मन चांडी (कांग्रेस) ने भाग लेने से मना कर दिया।[३२] भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे अधिक सीटों पर विजय प्राप्त करने वाली तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने समारोह में भाग न लेने का निर्णय लिया जबकि पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने अपनी जगह मुकुल रॉय और अमित मित्रा को भेजने का निर्णय लिया।[३३][३४]
मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री, शिवराज सिंह चौहान (जो भाजपा के हैं) ने अपने पूर्ण मंत्रिमण्डल के साथ वायु-यान किराये पर लिया जिससे समारोह में उपस्थित होकर उसी रात्रि वापसी कर सकें।[३५]
अन्य आमंत्रित हस्तियों में अनुपम खेर, मधुर भंडारकर, विवेक ओबेरॉय, रजनीकान्त और अमिताभ बच्चन शामिल हैं।[३६][३७]
वड़ोदरा के एक चाय विक्रेता किरण महिदा जिन्होंने मोदी की उम्मीदवारी प्रस्तावित की थी को भी समारोह में आमंत्रित किया गया। इनके अलावा मोदी की माँ हीराबेन और अन्य तीन भाई भी समारोह में उपस्थित रहेंगे।[३८]
इसके अतिरिक्त उद्योगजगत के लोग सपरिवार मुकेश अंबानी उनके भाई अनिल अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला और गौतम अदाणी भी समारोह में उपस्थित रहे।[३९]
अन्य समारोह
सन्दर्भ
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