धोसी पहाड़ी

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धोसी ज्वालामुखी पहाड़ी के मुख का एक दृश्य
धोसी ज्वालामुखी पहाड़ी के विभिन्न एक दृश्य।

अरावली पर्वत शृंखला के अंतिम छोर पर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक सुप्त ज्वालामुखी है, जिसे धोसी पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। यह उत्तरी अक्षांश 28*03'39.47" और पूर्वी देशान्तर 76*01'52.63" पर स्थित इकलौती पहाड़ी है, जो कई महत्वपूर्ण और रहस्यमयी कारणों से चर्चित रहती है।[१] इस पहाड़ी का उल्लेख विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में भी मिलता है जैसे महाभारत, पुराण आदि।[२]

पहाड़ी की स्थिति

धोसी पहाड़ी भारत में स्थित है, यह दक्षिण हरियाणा एवं उत्तरी राजस्थान की सीमाओं पर स्थित है। पहाड़ी का हरियाणा वाला भाग महेंद्रगढ़ जिले में स्थित है एवं सिंघाणा मार्ग पर नारनौल से ५ किमी दूरी पर है और राजस्थान वाला भाग झुन्झुनू में स्थित है।[१] इसकी समुंदर तल से उचाई 740 मीटर हैं

यहा पर महर्षि चाणमप्रस जी की तपों भूमि है

य्ह् दक्षिण हरियाणा की सबसे उची पहाड़ी है जिसकी अनुमानित उचाई समुन्दर तल् से 740 मीटर है ओर यह एक प्रियटक स्थाल है जो थाना गाव के पास है इसके एक तरफ हरयाणा ओर दूसरी तरफ राजस्थान है

ऐतिहासिक महत्त्व

महाभारत महाकाव्य के अनुसार इस पहाड़ी की उत्पत्ति त्रेता युग में हुई थी। लगभग 5100 वर्ष पूर्व पांडव भी अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे।[१] विश्व के सबसे पुराने धर्म यानी सनातन धर्म के शुरूआती विकास से लेकर आयुर्वेद की महत्वपूर्ण खोज च्यवनप्राश का नाता धोसी पहाड़ी से है। एक सुप्त ज्वालामुखी की संरचना होते हुए भी भूगर्भशास्त्री इसे ज्वालामुखीय संरचना मानने से इंकार करते हैं। भूगर्भशास्त्रियों का कहना है कि पिछले 2 मिलियन सालों में अरावली पर्वत शृंखला में कोई ज्वालामुखी विस्फोट नहीं हुआ, इसलिए इसे ज्वालामुखी संरचना मानना सही नहीं है। पहाड़ी की तलहटी में धुंसरा गांव मौजूद है। इतिहास के जानकारों के अनुसार धुंसरा वैश्य और ब्राह्मण हैं, जो कि च्यवन और भृगु ऋषि के वंशज हैं।[१][३]

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. Shree Mahabhartai,Van Parvai,shaloks 7-20, गीता प्रेस गोरखपुर, पृष्ठ1300
  3. साँचा:cite web