धरहरा
धरहरा | |
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स्थानीय नाम धरहरा | |
स्थान | सुंदरा, काठमांडू, नेपाल |
कद | साँचा:convert |
वस्तुशास्त्री | साँचा:if empty |
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धरहरा जिसे भीमसेन स्तम्भ भी कहा जाता है, नेपाल के काठमांडू के सुंदरा में स्थित एक बाईस मंजिला ऊँचा और 72 मीटर लंबा (236 फीट) स्तम्भ है। यह 1832 में मुख्तियार द्वारा उस वक्त के तत्कालीन प्रधान मंत्री के समकक्ष भीमसेन थापा द्वारा रानी ललित त्रिपुरा सुन्दरी के निवेदन के कारण बनाया गया था और आज यह युनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त काठमांडू की वास्तुकला का एक हिस्सा है। इतिहास में इसे कई बार क्षतिग्रस्त और पुनर्निर्मित किया गया है।[१][२]
स्तम्भ में एक घुमावदार सीढ़ी थी जिसमें 213 सीढ़ियाँ थीं। आठवीं मंजिल में पर्यवेक्षकों के लिए एक गोलाकार छज्जा भी था, जो काठमांडू उपत्यका का मनोरम दृश्य प्रदान करता था। इसकी छत पर 5.2 मीटर (17 फीट) का कांस्य मस्तूल भी था।[२]
25 अप्रैल 2015 को नेपाल में आए भूकंप में अधिकांश स्तम्भ ढह गया लेकिन आधार बना रहा। भूकम्प के बाद स्तम्भ के मलबे से कुल 180 शव निकाले गए। स्तम्भ का पुनर्निर्माण अक्टूबर 2018 में शुरू हुआ और इसे भूकन्प की छठी वर्षगांठ से एक दिन पहले 24 अप्रैल 2021 को आधिकारिक तौर पर दोबारा से खोला गया।[३][४][५][६] नए स्तम्भ की कुल लागत 3.48 अरब नेपाली रुपये होने का अनुमान है।[७]
वास्तुकला
धरहरा की वास्तुकला मुगल और यूरोपीय दोनों शैली के वास्तुकला को ध्यान नें रखकर बनाई गई है। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि धरहरा को भारत के स्मारकों को ध्यान मे रखकर बनाया गया था, जैसे कि वे मीनारें जो आगरा में ताजमहल परिसर के चारों कोनों पर खड़ी है या फिर दिल्ली में खड़े कुतुब मीनार को ध्यान में रखकर।[८]
भीमसेन थापा मुगल शैली के एक प्रसिद्ध प्रशंसक थे, जैसा कि उनके महल से भी स्पष्ट होता है, जो अब ध्वस्त हो गया है। स्तम्भ निर्माण में उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री ईंट, चूना पत्थर, मसूर और कारमेल को माना जाता है। इन सामग्रियों के संयोजन को आजकल इस्तेमाल होने वाले आम सीमेंट की तुलना में काफी मजबूत माना जाता है।[९]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
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- ↑ Hutt, Michael (2019). "Revealing What is Dear: the post-earthquake iconisation of the Dharahara, Kathmandu" (PDF). Journal of Asian Studies.
- ↑ साँचा:cite web