द्वीपसमूह
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द्वीपसमूह किसी सागर, महासागर या झील में स्थित द्वीपों की शृंखला को कहते हैं। भारत के अण्डमान, निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूहों के उदहारण हैं।
द्वीपसमूहों के प्रकार
भौगोलिक दृष्टि से द्वीपसमूह दो जगहों पर स्थित हो सकतें हैं -
- किसी भी बड़े भू-क्षेत्र से दूर, सागर में खुले पानी में। इसका उदहारण संयुक्त राज्य अमेरिका का हवाई प्रान्त है जो प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। हवाई के इर्द-गिर्द हज़ारों मील तक खुला पानी है।
- किसी भू-क्षेत्र के पास, गहरे सागर से सुरक्षित। इसका उदहारण यूरोप में स्कॉटलैण्ड के मुख्य भू-क्षेत्र के इर्द-गिर्द स्थित ७०० द्वीपों का द्वीपसमूह है।
अधिकतर द्वीपसमूहों के द्वीप दो प्रकार के हो सकते हैं-
- ज्वालामुखीय द्वीप - इन द्वीपों में समुद्र की तह पर स्थित एक या अनेक ज्वालामुखी के युगों तक फटकर पिघला पत्थर (यानि लावा) उगलने से द्वीप बन जाते हैं। क्योंकि ऐसे ज्वालामुखी ज़्यादातर प्लेट विवर्तनिकी के कारण बनते हैं, इसलिए इस प्रकार के द्वीपसमूह भी ज़्यादातर श्रंखला के रूप में होते हैं। इसका उदहारण भारत का अंडमान द्वीपसमूह है जहाँ बैरन द्वीप पर अभी भी एक ज्वालामुखी सक्रीय रूप से समय-समय पर फटता रहता है।
- कोरल द्वीप - यह द्वीप नन्हे कोरल-नामक समुद्री जीवों के हज़ारों-लाखों साल तक उगते रहने से बन जाते हैं। जिस तरह घोंघे अपना शंख बनाते हैं, ठीक उसी तरह यह कोरल अपने इर्द-गिर्द बेहद सख्त जिस्म का खोल बनाते रहते हैं। करोड़ों-अरबों कोरलों द्वारा यह द्वीप समुद्र के तह से उठकर उसकी सतह से थोड़ा ऊपर होकर द्वीप बना लेते हैं। ऐसे द्वीपसमूह एक सीधी श्रंखला में होने की बजाए झुंडों में पाए जाते हैं। इसका उदहारण भारत का लक्षद्वीप द्वीप समूह है।