दो झिरी प्रयोग

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फोटॉन या पदार्थ के कण (जैसे इलेक्ट्रॉन) जब किसी स्लिट से गुजरते हैं तो तरंग-पैटर्न उत्पन्न करते हैं
एक समतल तरंग से उत्पन्न दो विवर्तन प्रतिरूप (diffraction patterns)

आधुनिक दो-झिरी प्रयोग या द्वि-रेखाछिद्र प्रयोग (double-slit experiment) द्वारा यह प्रदर्शित किया जाता है कि प्रकाश एवं पदार्थ, तरंग एवं कण दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं। इसके अलावा इस प्रयोग से क्वाण्टम यान्त्रिक परिघटना (quantum mechanical phenomena) की प्रायिक प्रकृति (probabilistic nature) भी दिखती है। दो-झिरी वाला एक सरल प्रयोग १८०१ में मूल रूप से थॉमस यंग ने किया था।

प्रकाश के साथ थॉमस यंग का प्रयोग क्वांटम यांत्रिकी, और तरंग-कण द्वैतता की अवधारणा से पहले चिरसम्मत भौतिकी का हिस्सा था। उन्होंने माना कि यह प्रदर्शित करता है कि प्रकाश का तरंग सिद्धांत सही था, और उनके प्रयोग को कभी-कभी यंग के प्रयोग या यंग के स्लिट्स के रूप में संदर्भित किया जाता है।

प्रयोग, "डबल पाथ" प्रयोगों के एक सामान्य वर्ग का है, जिसमें एक तरंग को दो अलग-अलग तरंगों में विभाजित किया जाता है जो बाद में एकल तरंग में संयोजित हो जाती है। दोनों तरंगों के पथ की लंबाई में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उनमें चरण बदलाव आता है, एक इंटर्फरेंस पैटर्न बनाता है। एक अन्य संस्करण माच-ज़ेन्डर इंटरफेरोमीटर है, जो एक दर्पण के साथ बीम को विभाजित करता है।