द लंच बॉक्स

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द लंच बॉक्स
चित्र:द लंचबॉक्स पोस्टर.jpg
निर्देशक रितेश बत्रा
निर्माता अनुराग कश्यप
गुनीत मोंगा
करण जौहर
सिद्धार्थ राय कपूर
अरुण रंगाचारी
लेखक रितेश बत्रा
अभिनेता इरफ़ान ख़ान
निमरत कौर
नवाजुद्दीन सिद्दीकी
संगीतकार मैक्स रिचटर
छायाकार माइकल सायमंड्स
संपादक जॉन एफ लियोन्स
स्टूडियो यूटीवी मोशन पिक्चर्स
धर्मा प्रोडक्शन्स
सिख्य ऐंटरटेनमेंट
डर मोशन पिक्चर्स
एनएफडीसी
प्रदर्शन साँचा:nowrap [[Category:एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। फ़िल्में]]
  • May 19, 2013 (2013-05-19) (कान फ़िल्म महोत्सव)
  • September 20, 2013 (2013-09-20) (भारत)
समय सीमा 104 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी
अंग्रेज़ी
लागत $15 करोड़[१]

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द लंच बॉक्स रितेश बत्रा द्वारा निर्देशित और गुनीत मोंगा, अनुराग कश्यप एवं अरुण रंगाचारी द्वारा निर्मित पत्रोचित रोमानी फिल्म है। फ़िल्म को एक साथ कई स्टूडियों में जारी किया गया। ये स्टूडियो यूटीवी मोशन पिक्चर्स, धर्मा प्रोडक्शन्स, सिख्य ऐंटरटेनमेंट, डर मोशन पिक्चर्स, एनएफडीसी (भारत), रोह फ़िल्म्स (जर्मनी), एएसएपी फ़िल्म्स (फ़्रांस) और सिने मोसायक (संयुक्त राज्य अमेरिका) हैं।[२] इसमें इरफ़ान ख़ान, निमरत कौर और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मुख्य कलाकारों की भूमिका अदा की है। फ़िल्म के २०१३ के कान फ़िल्म महोत्सव में भी प्रदर्शित किया जा चुका है उसके बाद ग्रांड रैल डोर में भी दिखाया जा चुका है और बाद में ये फिल्म क्रिटिक्स सप्ताह दर्शकों की पसंद अवार्ड भी जीत चुकी है इस अवार्ड को "ग्रांड रेल डी और" नाम से भी जाना जाता है। [३] यह फ़िल्म २०१३ के टोरण्टो अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में भी जारी की जा चुकी है।[४] भारत, अमेरिका एवं यूके में फ़िल्म को 20 सितम्बर 2013 को जारी किया गया।[५]

पटकथा

फ़िल्म मुम्बई आधारित है और मुम्बई की डब्बावाला (लंच बॉक्स सेवा) की गलती से आरम्भ हुई जो एक युवा महिला और रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़ा एक व्यक्ति'लंच बॉक्स' के जरिए एक दूसरे को जान पाते हैं और प्यार कर बैठते हैं की कहानी को दिखाया गया है। इला (निमरत कौर) एक गृहणी है और उसकी एक छोटी बेटी है। उसके पति (नकुल वैद्य) के विवाहेतर सम्बंध हैं। उसका पति हमेशा अपने मोबाइल से चिपका रहता है। अपने पति के लिए बेहतरीन भोजन बना कार्यालय भेजकर वह उसका प्यार पाने की कोशिश करती है। साजन फर्नांडीज़ (इरफ़ान ख़ान) सरकारी कार्यालय का एक कर्मचारी है। उनकी पत्नी का निधन हो चुका है और वो अपने कार्यालय में डब्बावाला (टिफिन सर्विस) से भोजन मंगवाते हैं। एक दिन डिब्बावाले की ग़लती से, श्रीमती इला के पति का डिब्बा जो कि इला ने खुद बनाया था साजन के पास पहुँच जाता है और साजन का डिब्बा इला के पति को। पहली बार टिफिन बदलने के बाद डिब्बेवाले को अपनी इस गलती का कभी पता ही नहीं चलता और दोनों के टिफिन रोज बदलते रहते हैं। पहले दिन टिफिन बदलने के बाद इला अगले दिन डिब्बे में हाथ से लिखा हुआ एक नोट रखती है। साजन उस पत्र का जवाब देता है और इस तरह दोनो के बीच बिना मिले बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता है। वे हर मसले पर बात करते हैं यहाँ तक कि इला फर्नांडीज को अपने पति के विवाहेतर संबंधों के बारे में भी बता देती है। एक दिन इला फर्नांडीज को लिखके भेजती है की वह भूटान जाना चाहती है। फर्नांडीस उसे लिखकर भेजता है की क्या वह भी उसके साथ जा सकता है। इसके बाद इला लिख कर उत्तर देती है की वह एक अजनबी के साथ कैसे जा सकती है। फिर, एक दिन इला और फर्नांडीज मिलने का फैसला करते हैं। दोनों एक रेस्तरां में आने को तैयार हो जाते है लेकिन फर्नांडीस वहाँ पर नहीं आता | इला अगले दिन उसे खाली डब्बा भेजती है। साजन फर्नांडीस उसे लिखकर भेजता है की वह वहाँ पर आया था लेकिन उससे मिला नहीं क्योकि वह अब इला की तुलना में वृद्ध हो गया है। वह उसे इस सब को छोडकर आगे बढ़ जाने को कहता है। एक दिन इला को फर्नांडीस के काम करने की जगह का पता चल जाता है लेकिन वहाँ उसे पता चलता है कि फर्नांडीस उस नौकरी को छोड कर नासिक चला गया है। फिल्म के अंत में साजन नासिक से वापस आ जाता है और इला की खोज करता है और पृष्ठभूमि में डब्बेवालो का गाना बज रहा होता है।

कलाकार

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ