थांका चित्रकला
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थांका चित्रकला | |
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थांगका वजहराभैरावा को दर्शाती है, सी। |
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थांका चित्रकला(नेपाल भाषा: पौभा किपा) भारतीय, नेपाली तथा तिब्बती संस्कृति की अनुकाम मिसाल है। इस के माध्यम से तिब्बती धर्म, संस्कृति एवं दार्शनिक मूल्यों को अभिव्यक्त किया जाता रहा है। इस का निर्माण सामान्यत: सूती वस्त्र के धुले हुए काटल पर किया जाता है।
महत्व
महायान और बज्रयान बौद्ध धर्म मे थांका का बहुत बडा स्थान है। यह चित्रकला बिना किसी भी गुम्बा या अन्य धार्मिक स्थल के अधुरा होता है।
निर्माण शैली
थांका निर्माण के लिए एक वस्त्र का उपयोग किया जाता है। वस्त्र के मध्य भाग में प्रमुख देव/देवी या गुरु का चित्र होता है और उनके चारों और उन से सम्बन्धित कार्यो को दर्शाया जाता है।
कुछ बातें
- नेपाल की राजकुमारी भ्रीकुटी का विवाह तिब्बती राजा स्रोंङचन गम्पो से होने पर भ्ऋकुटी नेपाल से बौद्ध वस्तु जैसे की थांका तिब्बत में ले गयी थी। लोक कथन के अनुसार वहाँ उन्होने इन वस्तुओं को बौद्ध धर्म प्रचार में प्रयोग किया था।
- नेपाल के नेवार समुदाय में एक जात (चित्रकार) है जिसके प्रमुख कार्यो में एक थांका बनाना है।