भैरवी

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त्रिपुरभैरवी
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त्रिपुरभैरवी
संबंध महाविद्या, देवी, पार्वती, काली, महाकाली, सती, कामाख्या
निवासस्थान श्मशान
अस्त्र जपमाला, पुस्तक वर और अभय मुद्रा
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सवारी कमल, शव

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भैरवी हिंदुओं की एक देवी हैं जो दशमहाविद्याओं में से एक हैं। कुछ ग्रन्थों में वह त्रिमूर्ति से भी श्रेष्ठतर हैं। वें माता पार्वती की अवतार और भगवान शिव के भैरवनाथ अवतार की शक्ति या पत्नी हैं।

माता भैरवी

त्रिपुरभैरवी माता का मंदिर

वाराणसी की विशिष्ट शैली की सकरी गलियों में मां त्रिपुर भैरवी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के पास से गुजरने वालों के सिर मां के समक्ष अपने आप झुक जाते हैं। माना जाता है कि मां त्रिपुर भैरवी के दर्शन-पूजन से सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं। मां का ऐसा महात्म्य है कि इनके आस-पास का पूरा मोहल्ला त्रिपुर भैरवी के नाम से जाना जाता है। मां त्रिपुर भैरवी का स्थान 10 महाविद्या में 5 वें नंबर का है। कहा जाता है कि मां की अद्भुत प्रतिमा स्वयं भू है। इनके भक्तों को सहज रूप से विद्या प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार मां अपने भक्तों को विद्या के साथ सुख-सम्पत्ति भी प्रदान करती हैं। छोटे से इस मंदिर में मुख्य द्वार के सामने मां की बेहद भावपूर्ण मुद्रा की प्रतिमा स्थापित है जो कि गली से दिखाई देती है। मंदिर परिसर में ही एक तरफ त्रिपुरेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है।

मंदिर में बड़ा कार्यक्रम कार्तिक मास में अनन्त चतुर्दशी को मां का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान मां का भव्य वार्षिक श्रृंगार भी किया जाता है। मां का श्रृंगार बेहद आकर्षक ढंग से किया जाता है। वहीं वर्ष में पड़ने वाले दोनों नवरात्र में मां का नौ दिन अलग-अलग ढंग से श्रृंगार किया जाता है। नवरात्र में मां के दर्शन के लिए दर्शनार्थियों की काफी संख्या बढ़ जाती है। जबकि सप्ताह में मंगलवार एवं शुक्रवार को भी मां के दरबार में दर्शनार्थी मत्था टेकते हैं। यह मंदिर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। सुबह की आरती 9 बजे एवं रात की शयन आरती 10 बजे मन्त्रोच्चारण के बीच सम्पन्न होती है। वर्तमान में मंदिर के पुजारी पंडित ओमप्रकाश शास्त्री हैं। कैन्ट स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुचने के लिए गोदौलिया आटो द्वारा पहुंचकर पैदल गलियो में पहुंचा जा सकता है। वहीं इस मंदिर तक मीर घाट होते हुए भी पहुंचा जा सकता है।