तिब्बतन टेरियर
मूल देश | तिब्बत |
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समूह | खिलाड़ी, उपयोगी एवं साथी |
नस्ल | तिब्बतन टेरियर |
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तिब्बतन टेरियर (अंग्रेजी: Tibetan Terrier) तिब्बत में पाया जाने वाला एक दुर्लभ नस्ल का कुत्ता है। इसे यह नाम तिब्बत घूमने गये किसी यूरोपियन यात्री ने दिया था। यह देखने में बिल्कुल ल्हासा एप्सो जैसा ही होता है किन्तु कद काठी में उससे कुछ ज्यादा होता है। इसकी आवाज इतनी बुलन्द होती है कि सुनने वाले के मन में भय (अंग्रेजी में टेरर) उत्पन्न करती है। सम्भवत: इसी कारण इसे "तिब्बतन टेरियर" नाम दिया गया होगा। मालिक की सुरक्षा करने और घर की रखवाली करने में इससे बेहतर नस्ल का अन्य कोई भी पालतू प्राणी नहीं है।
अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा के पास इसी नस्ल से मिलता जुलता पुर्तगीज वाटर डॉग (अंग्रेजी: Porutguese water dog) प्रजाति का कुत्ता है।
आधुनिक डीएनए टेस्ट से यह सिद्ध हो चुका है कि तिब्बतन टेरियर कुत्तों की सबसे प्राचीन व दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। यह बहुत ही होशियार किस्म का होता है तथा इसकी आयु भी सामान्य कुत्तों से अधिक होती है।[१]
इतिहास
तिब्बतन टेरियर शताब्दियों से तिब्बत का सबसे पवित्र (अंग्रेजी में होली डॉग) पालतू जानवर माना जाता है। इसके बारे में आम मान्यता है कि यह हिमालय पर्वत की ऊँची चोटियों पर रहने वाले सन्यासी लोगों के नितान्त व्यक्तिगत सानिध्य में रहने और एक कमाण्डो की भाँति उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिये प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक ईश्वरीय रचना है। चूँकि यह प्राणी मूक रहकर भी मनुष्य की हिन्दी भाषा के कमाण्ड (आदेश) बहुत अच्छी तरह समझता है और परिवार में एक बच्चे की तरह रहता है अत: संन्यासी इसकी चिन्ता भी ठीक उसी तरह से करते हैं जैसे किसी शिशु की देखभाल की जाती है। महाभारत में एक कथा आती है कि स्वर्गारोहण के समय युधिष्ठिर के साथ अन्त तक केवल उनका स्वामिभक्त कुत्ता ही जा सका था। यहाँ तक कि उनकी पत्नी व अन्य सभी भाई पर्वत शिखरों के उस दुर्गम सफर में एक एक कर काल के गाल में समा गये थे। सम्भवत: यह उसी नस्ल का कुत्ता रहा होगा जो हिमालय की दुर्गम चोटियों पर सुरक्षित बचा रहा।
प्राचीन तिब्बत का रहने वाला कोई भी तिब्बती जिसके पास यह कुत्ता हो किसी भी कीमत पर उसे बेचता नहीं। क्योंकि उन लोगों की ऐसी आम धारणा है कि यह कुत्ता अत्यधिक भाग्यशाली होता है। यही नहीं, इसके साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार करना मारना पीटना भी पाप कर्म माना जाता है। और तो और इसकी मादा का किसी अन्य प्रजाति के कुत्ते से कृत्रिम गर्भाधान कराना भी वर्जित है। यदि धोखे से किसी अन्य प्रजाति के कुत्ते से क्रॉस (अंग्रेजी में मिसमैचिंग) हो भी जाय तो पैदा होने वाले बच्चे कभी जीवित नहीं रहते चौबीस घण्टे के अन्दर अन्दर ही मर जाते हैं।
इसके पिल्ले बेचे नहीं जाते बल्कि उन्हें उपहार में ही दिया जाता है। पहला कुता जो यूरोप के देशों में पहुँचा उसे किसी तिब्बती ने ही गिफ्ट किया था। कहते हैं कि इसका पिल्ला गिफ्ट करने से घर में सुख व समृद्धि अपने आप आती है।
रंग
यूँ तो इस नस्ल के कुत्ते काले अथवा भूरे रंग के ही होते हैं किन्तु सुनहरी भूरे रंग का तिब्बतन टेरियर देखने में सबसे आकर्षक लगता है। इसकी नाक काली और आँखें चमकीली व काली ही होती हैं। इसके अलावा काले भूरे व सफेद रंग के मिले जुले बालों वाले तिरंगे कुत्ते भी इसी नस्ल में पाये जाते हैं।
स्वभाव
इस नस्ल के कुत्तों का स्वभाव यूँ तो अत्यन्त मृदु होता है परन्तु आक्रोश के समय ये अत्यधिक उग्र हो जाते हैं। यह छोटे बच्चों को माँ से भी अधिक प्यार करते हैं और कभी बर्दाश्त नहीं करते कि कोई उन्हें डाँटे या मारे। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर यह मारने वाले को काट भी सकते हैं चाहे उस बच्चे की अपनी माँ ही क्यों न हो। किसी भी अजनबी व्यक्ति के घर में घुसते ही ये उसके समीप इस प्रकार बैठ जाते हैं कि यदि वह इनके मालिक पर हमला करे तो आसानी से उसे काट सकें।
आयु
ब्रिटेन के एक केनेल क्लब द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में यह पाया गया कि वैसे तो इस नस्ल के आम कुत्तों की औसत आयु 12 वर्ष ही होती है परन्तु पाँच में से एक अर्थात बीस प्रतिशत तिब्बतन टेरियर 15 वर्ष या उससे भी अधिक जीते हैं। अभी तक सबसे अधिक आयु तक जीवित रहने वाला तिब्बतन टेरियर सवा अठारह (18.25) वर्ष का था।[२]
सन्दर्भ
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- ↑ साँचा:cite web
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
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