ताऊस (वाद्य यंत्र)
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ताऊस पंजाब का एक झुका हुआ तार वाद्य है। इसका आविष्कार सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद ने किया था।[१] बाद में गुरु गोबिंद सिंह ने इसका एक हल्का स्वरूप दिलरुबा बनाया। फ़ारसी में ताऊस का अर्थ मोर होता है। उसी प्रकार इस वाद्य यंत्र का शरीर एक मोर के सामान होता है, और इसकी गर्दन में 20 भारी धातु के फ़्रेट (fret) होते हैं। गर्दन में 28-30 तारों के साथ लकड़ी का एक लंबा रैक होता है और इसे बो (bow) के साथ बजाया जाता है।
दिलरुबा / इसराज से संबंध
दिलरुबा का उद्गम ताऊस से हुआ है और यह 10 वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की रचना है।[२] दिलरुबा को ताऊस के एक छोटे संस्करण के रूप में डिजाइन किया गया था, जिससे यह सिख सेना के लिए घोड़े पर ले जाना आसान हो गया। ऐसराज दिलरुबा का एक आधुनिक रूप है।