ठंडा गोश्त

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"ठंडा गोश्त"
लेखक सआदत हसन मंटो
भाषा उर्दू
शैली कथेतर साहित्य

ठंडा गोश्त (साँचा:lang-ur ALA-LC: साँचा:transl IPA: [ʈʰənɖɑː ɡoːʃt̪], English: Cold Meat) एक कथेतर साहित्य की रचना अथवा लघुकथा है जिसे सआदत हसन मंटो ने पाकिस्तान की एक साहित्यिक पत्रिका के लिए मार्च 1950 में लिखी थी। [१] इसे बाद इसे संग-ए-मील प्रकाशन की ओर से छापा गया था। इस कहानी के लिए मंटो पर अश्लीलता का आरोप लगा था और उन्हें एक मुक़दमे का फौजदारी अदालत में सामना करना पड़ा है।

कहानी

यह कहानी 1947 के साम्प्रदायिक दंगों से सम्बंधित है।[२] कहानी का मुख्य नायक ईश्वर सिंह है जो कि सिख है। वह कुलवन्त नामक महिला के साथ अवैवाहित सम्बंध बनाए रखता है। मंटो कहानी का विस्तृत वर्णन करते हुए बताते हैं कि लाख कोशिश करके भी वह कुलवन्त को संभोग के दौरान कभी संतुष्ट नहीं कर सका। कुलवन्त इससे काफ़ी परेशान, विचलित और क्रोधित थी। उसे शंका है कि ईश्वर किसी और महिला के प्यार में दिल खो बैठा है। ऐसे ही जलन के कड़े भाव में आकर वह ईश्वर को खंजर घोंप देती है। मरते-मरते ईश्वर यह स्वीकार करता है कि वह अपने गाँव में फूटने वाले दंगों का भाग रहा है। उसने एक मुसलमान परिवार को अपनी तलवार से हमेशा की नींद सुला दिया था। इसी परिवार की एक लड़की का उसने अपहरण और बलात्कार किया था जो दरअसल मृत थी। यह घटना ईश्वर के आगे के जीवन पर अपनी गहरी छाप छोड़ती है और इसी से यह शीर्षक "ठंडा गोश्त" (शीत मांस) निकलता है। [३]

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite news
  2. साँचा:cite web
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बाहरी कड़ियाँ