जुताई रहित कृषि
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जुताई रहित कृषि या बिना जुताई के खेती (No-till farming) खेती करने का वह तरीका है जिसमें भूमि को बिना जोते ही बार-बार कई वर्षों तक फसलें उगायी जातीं हैं। यह कृषि की नयी विधि है जिसके कई लाभ हैं।
लाभ
- जुताई न करने से समय और धन की बचत होती है।
- जुताई न करने के कारण भूमि का अपरदन बहुत कम होता है।
- इससे भूमि में नमी बनी रहती है।
- भूमि के अन्दर और बाहर जैव-विविधता को क्षति नहीं होती है।
हानियाँ
- अधिक खर-पतवार होते हैं, जिनकी रोकथाम के लिये अतिरिक्त उपाय करने पड़ सकते हैं।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- बिना जुताई की खेती संभव है (भारतीय पक्ष)
- बिना जुलाई की खेती (जीरो-टिलेज फार्मिंग)
- बिना जुताई के लहलहाएंगी फसलेंसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] (जागरण)
- खेत को बिना जोते ही हो जाएगी धान की रोपाई (दैनिक भास्कर)
- बिना जुताई किये (जीरो टिल) मशीन द्वारा गेहूँ की बुआईसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- पुआल से खेतीसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- Wright, Sylvia. "Paydirt." UC Davis Magazine Winter 2006, pp 24–27.
- Dirt: The Erosion of Civilizations (Hardcover), by David R. Montgomery, 295 pages, University of California Press; 1 edition (May 14, 2007) ISBN 978-0-520-24870-0