जिगलर-नाटा उत्प्रेरक

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जिगलर-नाटा उत्प्रेरक (Ziegler–Natta catalyst) एक उत्प्रेरक है जिसका उपयोग 1-अल्कीनों (1-alkenes) के संश्लेषण में होता है। इस उत्प्रेरक का नाम जर्मनी के कार्ल जिगलर तथा इटली के गुलिओ नाटा के नाम पर पड़ा है जिन्हें इसके लिए १९६३ में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।। इन उत्प्रेरकों का उपयोग बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रकार के पॉलीओलीफिनों के उत्पादन के लिए १९५६ से ही हो रहा है। इन उत्प्रेरकों (एवं इनसे सम्बन्धित उत्प्रेरकों) की सहायता से सन २०१० में एल्कीनों से उत्पादित कुल प्लास्टिक, एलास्टोमर और रबर की मात्रा १० करोड़ टन से अधिक थी। ये सभी पॉलीमर मिलाकर सबसे अधिक मात्रा वाले कमोडिटी-प्लास्टिक हैं और साथ ही सर्वाधिक मात्रा वाले कमोडिटी-रसायन भी हैं।

जिगलर-नाटा उत्प्रेरक का उपयोग टर्मिनल अल्कीनों के बहुलकीकरण के लिए किया जाता है। विनाइल डबल बाण्ड से युक्त एथिलीन और एल्कीनों को टर्मिनल एल्कीन कहते हैं।

n CH2=CHR → −[CH2−CHR]n−;

इन अभिक्रियाओं के लिए प्रयुक्त होने वाले जिगलर-नाटा उत्प्रेरकों को मोटे तौर पर दो वर्गों में बांटा जा सकता है

  • (१) टाइटैनियम यौगिकों पर आधारित विषमांगी सपोर्टेड उत्प्रेरक ( Heterogeneous supported catalysts), ऑर्गनोएलुमिनियम यौगिकों के साथ (जैसे ट्राईएथिलएलुमिनियम Al(C2H5)3 )। उद्योगों में यह उत्प्रेरक अधिकांशतः पयोग किया जाता है।[१]
  • समांगी उत्प्रेरक जो प्रायः Ti, Zr या Hf के समिश्रों पर आधारित होते हैं। ये उत्प्रेरक मेथिलएलुमिनऑक्सेन नामक दूसरे कार्ब-एलुमिनियम उत्प्रेरक के साथ मिलाकर उपयोग किए जाते हैं। [२]
जिगलर-नाटा अभिक्रिया की सरलीकृत मेकेनिज्म

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ