जाली नोट (1960 फ़िल्म)
जाली नोट | |
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चित्र:जाली नोट.jpg जाली नोट का पोस्टर | |
निर्देशक | शक्ति सामंत |
निर्माता | संत सिंह और पच्छी |
अभिनेता |
देव आनन्द, मधुबाला, हेलन, ओम प्रकाश, मदन पुरी |
संगीतकार |
ओ पी नैय्यर (संगीत) राजा मेहंदी अली ख़ान (गीतकार) |
प्रदर्शन साँचा:nowrap | 1960 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
जाली नोट 1960 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
संक्षेप
दिनेश (देव आनंद) आपराधिक जांच विभाग (CID) में इन्सपेक्टर के ओहदे में काम कर रहा है। उसे नक़ली नोटों का प्रचलन बंद करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है। इसी बीच शहर के नामी व्यक्ति राय बहादुर पुलिस के उप महानिरीक्षक (DIG) के पास आकर ख़ुद के पास धोखे से नकली नोट होने की रिपोर्ट लिखाते हैं। तभी पुलिस उप महानिरीक्षक के पास फ़ोन आता है कि कोई व्यक्ति हवाई जहाज़ से नकली नोट ले जा रहा है। जांच के दौरान सुन्दरदास नाम का व्यक्ति हवाई अड्डे से जाली नोटों से भरा बैग लेकर भाग रहा होता है और दिनेश उसके पीछे भागता है लेकिन दुर्भाग्यवश ट्रेन के नीचे आ जाने से सुन्दरदास मारा जाता है। यहीं उसकी मुलाक़ात रेनु नाम की लड़की (मधुबाला) से होती है जो एक अख़बार में रिपोर्टर है।
वह एक सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल राशिद के रूप में अपने कांस्टेबल पाण्डू (ओम प्रकाश) के साथ जेल में बंद बनवारीलाल से कुछ जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करता है लेकिन कोई फायदा नहीं होता है। जेल में वे दोनों बनवारीलाल को एक पण्डित को एक किताब देते हुए देख लेते हैं और उस पण्डित का पीछा करते हुए होटल शंग्री-ला में जा पहुँचते हैं जहाँ उनकी मुलाक़ात लिली (हेलन) से होती है जो होटल में एक नाचने वाली है। अपनी माँ से उसे पता चलता है कि दिनेश मुंबई में अपने मां-बाप के साथ एक मध्यम वर्ग की जीवन शैली व्यतीत करता था। उसके पाँचवे जन्मदिन पर उसका बाप उसे एक गले की चेन भेंट करता है कि तभी उनके घर पुलिस आ जाती है और उसका बाप कभी न वापस आने के लिए उन्हें छोड़कर फ़रार हो गया था।
दिनेश कुंवर विजय बहादुर के भेस में होटल शंग्री-ला में एक कमरा किराए में लेता है। एक हत्या की तफ़्तीश के सिलसिले में रेनु भी बीना नाम से उसी होटल में रहने आती है और दोनों में आपस में प्यार होने लगता है। होटल का मॅनेजर दिनेश की मुलाक़ात मनोहर (मदन पुरी) तथा कई अन्य अपराधियों से कराता है। दिनेश रेनु के सामने कुछ ऐसी हरकतें करता है कि रेनु को उस पर शक़ होने लगता है और दिनेश रेनु के द्वारा अपने आप को गिरफ्तार करवा लेता है और जेल में बनवारीलाल की ही कोठरी में बंद करवा लेता है। दोनों दिनेश के बनाए हुए प्लान के मुताबिक़ जेल तोड़कर भागने में कामयाब हो जाते हैं और दिनेश बनवारीलाल से कहकर बनवारीलाल के ठिकाने में मनोहर और बाकी के गिरोह को भी बुलवा लेता है। इसी बीच रेनु का पर्दाफ़ाश हो जाता है और मनोहर उसे अगवा करके उसी ठिकाने में ले आता है। दिनेश रेनु को सब सच बता देता है। दिनेश का भी पर्दाफ़ाश हो जाता है और उसको पता चलता है कि मोगरा टापू के किले में ही दरअसल इस गिरोह का नकली नोट छापने का कारख़ाना है और राय बहादुर ही नक़ली नोट बनाने वाले गिरोह का सरगना है। राय बहादुर अपने साथियों को दिनेश को एक कमरे में बंद करके आग लगाने का आदेश देता है। राय बहादुर से झड़प के दौरान दिनेश की चेन राय बहादुर के हाथ में आ जाती है। चेन देखकर राय बहादुर को याद आ जाता है कि दिनेश उसी का बेटा है। वह दिनेश को बचाने के लिए जाता है लेकिन तभी बनवारीलाल और अन्य लोग वहाँ आ जाते हैं। दिनेश को बचाने के चक्कर में एक गोली राय बहादुर को लग जाती है और अस्पताल में उसकी मृत्यु हो जाती है। इसी बीच गिरोह के सारे सदस्य पुलिस द्वारा पकड़ लिए जाते हैं।
मुख्य कलाकार
संगीत
# | गीत | गायक/गायिका |
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१ | ओ मिस्टर दिल | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले |
२ | ग़ुस्ताख़ नज़र चेहरे से हटा | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले |
३ | चांद ज़र्द ज़र्द है | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले |
४ | छुरी बन काँटा बन | मोहम्मद रफ़ी |
५ | दिल है आपका हुज़ूर | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले |
६ | निगाहों ने फेंका है | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले |
७ | सच कहता हूँ बहुत हसीन हो | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले |