छेनी तारामंडल
छेनी या सीलम (अंग्रेज़ी: Caelum) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वी सदी में फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री निकोला लूई द लाकाई (Nicolas Louis de Lacaille) ने की थी। इसका नाम एक तराशने के औज़ार पर रखा गया है जिसे हिंदी में "छेनी", लातिनी में "सीलम" और अंग्रेज़ी में चिज़ल (chisel) कहते हैं।
छेनी तारामंडल में ८ तारें हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं, जिनमें से अगस्त २०११ तक किसी के भी इर्द-गिर्द कोई ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ नहीं पाया गया था। इस तारामंडल में कोई भी तारा ४ खगोलीय मैग्नीट्यूड से अधिक चमक नहीं रखता। याद रहे कि मैग्नीट्यूड की संख्या जितनी ज़्यादा होती है तारे की रौशनी उतनी ही कम होती है। छेनी तारामंडल का सब से रोशन तारा अल्फ़ा सिलाइ (α Caeli) नाम का एक दोहरा तारा है। इस तारामंडल में एक अन्य तारा गामा सिलाइ (γ Caeli) नामक तारा भी है जिसको शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात होता है के यह वास्तव में एक दोहरे तारे और एक द्वितारे का जोड़ा है (यानि कुल मिलकर चार ज्ञात तारे हैं)। इस तारामंडल में कुछ आकाशगंगाएँ भी हैं लेकिन वे केवल शक्तिशाली दूरबीनों से ही नज़र आती हैं।[१]