चार्ल्स ब्रेडलॉफ

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Charles Bradlaugh
MP
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पद बहाल
1880–1891
पूर्वा धिकारी Charles George Merewether
उत्तरा धिकारी Sir Moses Philip Manfield

जन्म साँचा:br separated entries
मृत्यु साँचा:br separated entries
राष्ट्रीयता British
धर्म None (Atheism)
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चार्ल्स ब्रेडलॉफ (26 सितम्बर 1833 - 30 जनवरी 1891) एक राजनैतिक कार्यकर्ता एवं उन्नीसवीं शताब्दी इंग्लैंड के एक बहुचर्चित नास्तिक थे। उन्होंने 1866 में नेशनल सेक्युलर सोसाइटी की स्थापना की.[१]

प्रारंभिक जीवन

ब्रेडलॉफ का जन्म लन्दन के पूर्वी हिस्से में बसे हॉक्सटन नामक क्षेत्र में हुआ। उनके पिता एक विधिवक्ता के यहाँ लिपिक थे। 11 वर्ष की आयु में उन्होंने स्कूल त्याग कर पहले एक छोटे-मोटे काम करने वाले लड़के और फिर एक कोयला व्यापारी के यहाँ लिपिक के रूप में कार्य किया। तत्पश्चात, एक स्कूल में रविवार अध्यापक के रूप में कार्य करते हुए उनका ध्यान एंग्लिकन चर्च के 39 लेखों और बाइबल के बीच स्पष्ट विसंगतियों की ओर खिंचता चला गया और वे विचलित हो गए। जब उन्होंने अपनी चिंता प्रकट की तब स्थानीय पादरी जॉन ग्राहम पारकर ने उनका समर्थन करने की बजाय उन्हें नास्तिक करार देते हुए अध्यापन कार्य से निलंबित कर दिया.[२] यही नहीं, उन्हें अपने पारिवारिक घर से भी निकाल दिया गया। अंततः उन्हें रिचर्ड कार्लाइल की विधवा एलिज़ाबेथ शार्पल्स कार्लाइल के यहाँ संरक्षण प्राप्त हुआ, जिन्हें थामस पेन के बहु चर्चित लेख द एज ऑफ रीज़न को छापने के कारण बंदी बनाया गया था। शीघ्र ही ब्रेडलॉफ जार्ज हॉलिओक के संपर्क में आ गए, जिन्होंने ब्रेडलॉफ का एक नास्तिक के रूप में पहला सार्वजनिक अभिभाषण आयोजित करवाया. मात्र 17 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी प्रथम पुस्तिका प्रकाशित की जिसका शीर्षक था 'अ फ्यू वर्ड्स ऑन द क्रिश्चियन क्रीड '. जीवन यापन के लिए उन्होंने साथी मुक्त विचारकों से आर्थिक सयाहता लेना स्वीकार नहीं किया तथा सेवंथ ड्रगून गार्ड्स में एक सैनिक के रूप में नौकरी कर ली. उनको आशा थी की उनकी नियुक्ति भारत में हो जायेगी जहाँ वे अच्छा धन अर्जित कर पायेंगे. परन्तु उनकी नियुक्ति डब्लिन में हो गयी। इसी बीच 1853 में उनसे संबद्ध एक वृद्ध महिला ने मरते समय उनके नाम बड़ी विरासत कर दी. ब्रेडलॉफ ने उस धन का प्रयोग सेना से मुक्ति पाने के लिए किया।

सक्रियता एवं पत्रकारिता

1853 में ही ब्रेडलॉफ लन्दन लौट आये और एक विधिवक्ता के यहाँ लिपिक के रूप में कार्य आरम्भ किया। इस समय तक वे एक प्रबुद्ध मुक्त विचारक के रूप में स्थापित हो चुके थे और खाली समय में धर्म निरपेक्ष विचारधारा पर लेख लिखने लगे थे। अपने नियोक्ता विधिवक्ता की प्रतिष्ठा बचाने के लिए वे अपने लेखों पर केवल अपना नया उपनाम 'आईकोनोक्लास्ट' ही प्रयोग करते.[३] समय के साथ उनकी ख्याति कई उन्मुक्त और उग्र विचारधारा वाले संगठनों में होने लगी, जिनमें रिफॉर्म लीग, लैंड लॉ रिफॉर्मर्स और सेक्युलरिस्ट्स प्रमुख हैं। 1858 से वे लन्दन सेक्युलर सोसाइटी के अध्यक्ष रहे हैं। 1860 में वे धर्म निरपेक्ष समाचार पत्र द नेशनल रिफॉर्मर के संपादक बने और 1866 में नेशनल सेक्युलर सोसाइटी के सह संस्थापक बने, जिसमें एनी बेसेंट उनकी निकट सहयोगी थीं। 1868 में रिफॉर्मर के विरुद्ध ब्रिटिश सरकार ने ईश निंदा एवं राज द्रोह का मुकद्दमा चलाया। ब्रेडलॉफ यद्यपि सभी आरोपों से मुक्त हो गए परन्तु यह विवाद न्यायालयों एवं प्रेस में देर तक चर्चित रहा. एक दशक उपरांत, 1876 में, ब्रेडलॉफ तब पुनः विवादों में घिर गए जब एनी बेसेंट के साथ मिलकर उन्होंने अमरीकी लेखक चार्ल्स नॉल्टन के जन्म दर नियंत्रण का समर्थन करने वाले लेख को पुनः प्रकाशित करने का प्रयास किया। 'द फ्रूट्स ऑफ फिलोसोफी या द प्राईवेट कम्पेनियन ऑफ यंग मैरीड पीपल ' शीर्षक वाले इस लेख के पहले ब्रिटिश प्रकाशक को अश्लीलता के लिए पहले ही सजा मिल चुकी थी। दोनों पर 1877 में मुकद्दमा चला और चार्ल्स डार्विन ने उनके पक्ष में प्रमाण देने से इनकार कर दिया. दोनों को 6 माह के कारावास और आर्थिक दंड की सजा सुनाई गई परन्तु 'कोर्ट ऑफ अपील' ने सजा यह कहते हुए निरस्त कर दी कि उनका अपराध पूर्णतया सिद्ध नहीं होता.

राजनीति

ब्रेडलॉफ कर्मचारी संगठनों, प्रजातंत्र एवं महिला शक्ति के प्रबल समर्थक थे और समाजवाद के प्रखर विरोधी. उनका समाजवाद का विरोध कई विरोधाभास उत्पन्न करता था। कई धर्म निरपेक्ष विचारक जो समाजवाद के प्रति आकर्षित हुए, केवल इस लिए धर्म निरपेक्ष आन्दोलन को त्याग गए क्योंकि इसमें अब ब्रेडलॉफ के उदार व्यक्तिवाद का चलन था। ब्रेडलॉफ ने आयरलैंड के स्वशासन एवं फ्रांस-प्रशिया युद्ध में फ्रांस का समर्थन किया। वे भारत में भी प्रबल दिलचस्पी रखते थे।

संसद

पंच से हास्यास्पद चित्र, 1881 -- "श्री ब्रेडलॉफ, एम.पी., नॉर्थम्प्टन करूब"

1880 में ब्रेडलॉफ नॉर्थम्प्टन से संसद सदस्य निर्वाचित हुए. पद और निष्ठा की शपथ लेने के बजाय उन्होंने स्पष्ट वचन बोलने का अधिकार माँगा, परन्तु उन्हें अनुमति नहीं दी गयी। लार्ड रेंडोल्फ चर्चिल ने सदन के कंज़र्वेटिव सदस्यों को उनके विरुद्ध उकसाने में प्रमुख भूमिका अदा की.

तत्पश्चात ब्रेडलॉफ ने शपथ 'मैटर ऑफ फ़ार्म' रूप में लेने की पेशकश की, परन्तु उसे भी संसद ने अस्वीकार कर दिया. इस प्रकार उन्होंने प्रभावी रूप से अपनी सदस्यता स्वतः ही समाप्त कर ली, क्योंकि संसद में स्थान ग्रहण करने से पूर्व शपथ ग्रहण आवश्यक होता था। इसके बाद भी उन्होंने सभा में अपना स्थान ग्रहण करने का प्रयास किया, जिस पर उन्हें अंशकाल के लिए संसद के घंटा घर में बंदी बना लिया गया। उनकी सीट को रिक्त घोषित कर उस पर पुनः मतदान की घोषणा कर दी गयी। विवाद में वृद्धि होती गयी और इस बीच ब्रेडलॉफ निरंतर 4 बार नॉर्थम्प्टन से ही निर्वाचित हो कर संसद में पहुंचे। उनके प्रबल समर्थकों में विलियम एवर्ट ग्लेडस्टोन, टी.पी. ओ'कानर एवं जॉर्ज बरनार्ड शॉ प्रमुख थे, साथ ही वे हज़ारों गुमनाम लोग जिन्होंने एक याचिका पर हस्ताक्षर किये. उनकी सदस्यता के प्रखर विरोधियों में कंजरवेटिव पार्टी, कैंटरबरी के आर्चबिशप तथा चर्च ऑफ इंग्लैंड व रोमन कैथोलिक चर्च की प्रमुख हस्तियाँ शामिल थीं।

एक बार तो ब्रेडलॉफ को सदन से सुरक्षा कर्मियों द्वारा बलपूर्वक निष्कासित भी किया गया। 1883 में उन्होंने फिर संसद में अपना स्थान ग्रहण करने की चेष्टा की और तीन बार मत भी डाला, मगर उनका मत अवैध घोषित कर उनपर 1500 पौंड का जुरमाना लगा दिया गया। उनकी सदस्यता मान्य करने का विधेयक संसद के पटल पर असफल हो गया।

1886 में अंततः ब्रेडलॉफ को शपथ लेने की अनुमति मिल ही गयी, परन्तु इसमें संसद शपथ अधिनियम के उल्लंघन की समस्या थी। 1888 में, दो वर्ष उपरांत, उन्होंने नया शपथ अधिनियम लागू करने में सफलता प्राप्त की. जिसमें सदन के दोनों भागों के सदस्यों की सदस्यता की अभिपुष्टि के मूल अधिकार की व्यवस्था की गयी। साथ ही इस कानून में नागरिक और आपराधिक मामलों से जुड़े कुछ तथ्यों पर स्पष्टीकरण दिया गया। (1869 और 1870 के साक्ष्य अधिनियम संशोधन असंतोषजनक साबित हो गए थे हालांकि वे कई लोगों को राहत देते थे जो अन्यथा वंचित रह जाते). ब्रेडलॉफ ने 1888 की लन्दन मैचगर्ल्स हड़ताल का भी सदन में विशेष वर्णन किया।

मरणोपरांत

ब्रेडलॉफ की मूर्ति, एबिन्ग्टन स्क्वायर, नॉर्थम्प्टन ब्रिटेन, 2004 में अपने जन्मदिवस पर

ब्रेडलॉफ की शव यात्रा में लगभग 3000 लोग एकत्रित हुए. उनमें 21 वर्षीय युवा मोहन दास गाँधी भी शामिल थे।[४][५][६] उन्हें ब्रुकवुड शवगृह में दफनाया गया।[७] एबिन्ग्टन स्क्वायर, नॉर्थम्प्टन में आज भी एक चौरस्ते पर उनका पुतला लगा है। उनके जन्म दिवस पर उनको आज भी याद किया जाता है। परन्तु सामान्य दिनों पर उनके पुतले की अंगुली पश्चिम दिशा में नॉर्थम्प्टन नगर की ओर संकेत करती प्रतीत होती है। यद्यपि उस अंगुली को कई बार शरारती तत्वों द्वारा तोड़ा गया और फिर बनाया गया, ऐसा प्रतीत होता है मानो आज भी ब्रेडलॉफ अपने विरोधियों पर दोषारोपण कर रहे हों. कई विख्यात स्थान आज उनके नाम से सुशोभित हैं जैसे ब्रेडलॉफ फील्ड्स[८] नेचर रिज़र्व्स, द चार्ल्स ब्रेडलॉफ पब एवं नॉर्थम्प्टन विश्वविद्यालय में चार्ल्स ब्रेडलॉफ हॉल.

ग्रन्थसूची

प्रशंसात्मक उल्लेख

  1. साँचा:cite web
  2. देखें ब्रेडलॉफ-बूनर (1908, पी.8); हेडिन्ली (1888, पीपी.5 -6); ट्राइब (1971, पी.18)
  3. एडवर्ड रॉयल, ब्रेडलॉफ, चार्ल्स (1833-1891)', ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ऑफ नेशनल बायोग्राफी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, सितम्बर 2004; ऑनलाइन इडीएन, मई 2008 9 मार्च 2010 को एक्सेस किया गया
  4. चटर्जी, मार्गरेट (2005). गांधी एंड दी चैलेन्ज ऑफ रिलीजियस डिवर्सिटी: रिलीजियस प्लूरिज्म रिविजिटेड. नई दिल्ली/शिकागो: प्रोमिला एंड कं/बिब्लीअफाइल साउथ एशिया, पी.330
  5. पायने, रॉबर्ट (1969). दी लाइफ एंड डेथ ऑफ महात्मा गांधी. न्यू यॉर्क: ई.पी. ड्यूटन, पीपी.73.
  6. आर्नस्टेन (1983), पी.322.
  7. साँचा:cite web
  8. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

सन्दर्भ

  • अर्नस्टेन, वाल्टर एल. (1965) दी ब्रेडलॉफ केस: ए स्टडी इन लेट विक्टोरियन ओपिनियन एंड पॉलिटिक्स. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. (दी ब्रेडलॉफ केस: एथिज्म, सेक्स एंड पॉलिटिक्स एमंग दी लेट विक्टोरियन्स के रूप में प्रकाशित नए उपलेख अध्याय के साथ दूसरा संस्करण, मिसौरी विश्वविद्यालय प्रेस, 1983. आईएसबीएन 0-8262-0425-2)
  • ब्रेडलॉफ बोंनेर, ह्यपटिया (1908). चार्ल्स ब्रेडलॉफ: ए रिकॉर्ड ऑफ हिज़ लाइफ एंड वर्क बाय हिज़ डॉटर . लंदन, टी. फिशर अनविन.
  • चैंपियन ऑफ लिबर्टी: चार्ल्स ब्रेडलॉफ (सैनेटेनरी वॉल्यूम) (1933). लंदन, वत्स एंड कं और पायनियर प्रेस.
  • डायमंड, एम. (2003) विक्टोरियन सेंसेशन, लंदन, एन्थेम प्रेस. आईएसबीएन 1-84331-150-X, पीपी. 101-110.
  • हेडिन्गली, अडोल्फ एस. (1888). दी बायोग्राफी ऑफ चार्ल्स ब्रेडलॉफ. लंदन: फ्रीथॉट पब्लिशिंग कंपनी.
  • मंवेल्ल, रोजर (1976). ट्रायल ऑफ एनी बीसेंट एंड चार्ल्स ब्रेडलॉफ. लंदन: एलेक/पेम्बेर्टन.
  • निब्लेट, ब्रायन (2011). डेयर टू स्टैंड अलोन: दी स्टोरी ऑफ चार्ल्स ब्रेडलॉफ . ऑक्सफोर्ड: क्रेम्डार्ट प्रेस. आईएसबीएन 978-0-9564743-0-8)
  • रोबर्ट्सन, जे.एम. (1920). चार्ल्स ब्रेडलॉफ . लंदन, वत्स, एंड कं.
  • ट्राइब, डेविड (1971) प्रेसिडेंट चार्ल्स ब्रेडलॉफ एमपी. लंदन, एलेक. आईएसबीएन 0-236-17726-5


बाहरी कड़ियाँ

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