घोष (स्वनविज्ञान)

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स्वनविज्ञान और स्वनिमविज्ञान में घोष (voiced) वह ध्वनियाँ (विशेषकर व्यंजन) होती हैं जिनमें स्वर-रज्जु में कम्पन होता है, जबकि अघोष वह ध्वनियाँ होती हैं जिनमें यह कम्पन नहीं होता। उदाहरण के लिए "प" एक अघोष ध्वनि है जबकि "ब" एक घोष ध्वनि है।[१] इसी तरह "स" और "श" दोनों अघोष है, जबकि "ज़" घोष है। देवनागरी के हर नियमित वर्ग में पहले दो वर्ण अघोष और उन के बाद के तीसरा, चौथा, पांचवां वर्ण सघोषं होते हैं। क/ख, च/छ, त/थ, ट/ठ, प/फ अघोष हैं, जबकि ग/घ, ज/झ, द/ध, ड/ढ, ब/भ घोष हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Kretzschmar (1993) Handbook of the Linguistic Atlas of the Middle and South Atlantic States, University of Chicago Press, p. 122.