गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस

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गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस
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२००२ में गेब्रियल गार्सिया मार्ख़ेस
जन्मसाँचा:br separated entries
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मृत्यु स्थान/समाधिसाँचा:br separated entries
राष्ट्रीयताकोलॉम्बियाई
शिक्षाकार्टाजेना विश्वविद्यालय
विधाउपन्यास, लघु कथायें
साहित्यिक आन्दोलनलैटिन अमेरिकी बूम, जादुई यथार्थवाद
उल्लेखनीय कार्यsएकांत के सौ वर्ष, ऑटम ऑफ़ द पैट्रियार्क, लव इन द टाइम ऑफ़ कॉलरा
उल्लेखनीय सम्मानसाँचा:awd
जीवनसाथीमर्सेडीस बरछा पार्डो
सन्तानरॉड्रिगो गार्सिया बार्चा, गोंज़ालो गार्सिया बार्चा

हस्ताक्षर

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गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ (6 मार्च 1927 – 17 अप्रैल 2014) नोबेल पुरस्कृत विश्वविख्यात साहित्यकार थे। १९५० में रोम और पेरिस में स्पेक्टेटर के संवाददाता रहे। १९५९ से १९६१ तक क्यूबा की संवाद एजेंसी के लिए हवाना और न्यूयार्क में काम किया। वामपंथी विचारधारा की ओर झुकाव के कारण उन पर अमेरिका और कोलम्बिया सरकारों द्वारा देश में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगया गया। उनका प्रथम कहानी-संग्रह लीफ स्टार्म एंड अदर स्टोरीज १९५५ में प्रकाशित: नो वन नाइट्, टु द कर्नल एंड अदर स्टोरीज और आइज़ ऑफ ए डॉग श्रेष्ठ कहानी संग्रह है। उनके उपन्यास सौ साल का एकांत (वन हंड्रेड इयर्स ऑफ सालीच्यूड) को १९८२ में नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ।[१] 17 अप्रैल 2014 को ८७ वर्ष की आयु में मैक्सिको नगर में उनका निधन हो गया।[२][३][४]

जीवन परिचय

गेब्रियल गर्सिया मार्ख़ेस

पूरा नाम गेब्रियल जोस डे ला कॉनकॉर्डिया "गैबो" गार्सिया मार्क्वेज़ है, जिसमें गार्सिया नाम उनके पिता से लिया गया है, और मार्केज़ उनकी माँ से। उनका जन्म 1927 में कोलंबिया में हुआ था। उन्होंने अपनी माँ के माध्यम से अपने दादा दादी से शिक्षा प्राप्त की। 9 साल की उम्र में, अपने दादा की मृत्यु के बाद, गेब्रियल अपने माता-पिता के पास चले गए।

गाबो और उनकी पत्नी मेरसेदेज़ का सम्बन्ध बेहद सुलझा हुआ और उल्लेखनीय था। जब गाबो अपना सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास ‘वन हंड्रेड ईयर्स ऑफ़ सॉलिट्यूड’ लिख रहे थे उस समय को याद करते हुए उन्होंने मेन्दोजा को बताया था – “तुम जानते हो मेरसेदेज़ ने मेरे कितने सारे ऐसे पागलपन बर्दाश्त किये हैं। उसके बिना मैं किताब नहीं लिख सकता था। उसने चीज़ों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। मैंने कुछ ही महीने पहले कार खरीदी थी, सो उसे गिरवी रख कर मैंने उसे पैसे दे दिए। मुझे लगा था कि मैं छः महीने लूंगा पर किताब पूरा करने में मुझे डेढ़ साल लग गया। जब पैसा ख़त्म हो गया उसने एक शब्द भी नहीं कहा। मुझे नहीं पता कि उसने कैसे किया लेकिन कसाई उधार पर मांस देने को, नानबाई को उधार पर डबलरोटी देने को और मकान मालिक को किराये के लिये नौ महीने रुके रहने पर राजी हो गया।”[५]

पत्रकारिता

गार्सिया मार्केज़ ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन शुरू किया। वहां उनकी भावी पत्नी मर्सिडीज बारचा पार्डो से मुलाकात होती है। चुनी हुई विशेषता के बावजूद, वह पहले से ही पत्रकारिता की दिशा में अपना पहला प्रयास करना शुरू कर रहा है। विश्वविद्यालय के अध्ययन के पहले वर्ष में, उन्होंने अपनी पहली कहानी अखबार ऑब्जर्वर में प्रकाशित की। 50 वें वर्ष में, गार्सिया मार्खेज ने विश्वविद्यालय छोड़ने का फैसला किया और खुद को रचनात्मकता के लिए समर्पित किया। [६]

साहित्य रचना

शैली

मार्केस ने लेखन की तकनीकें काफ्का, मिखाइल बुल्गाकोफ, एर्नेस्ट हेमिंग्वे, वर्जीनिया वुल्फ और जेम्स जॉयस जैसे लेखकों से हासिल की थीं। दोस्तोएव्स्की, मार्क ट्वेन और एडगर एलन पो का असर भी उन पर रहा है। डॉन क्विजोट का आख्यान उनका एक सबक है। साइमन बोलीवर उनके कथानकों के महानायकों में दिखते रहते हैं। मार्केस के लेखन का सबसे बड़ा खजाना है उनकी स्मृतियां. बचपन की स्मृतियां, जहां उनका ननिहाल है। नाना-नानी हैं, मां है, मौसियां हैं, आयाएं और दाइयां हैं। एक पूरा कस्बा है। लोग हैं। दोस्त हैं। मार्केस ने मृत्यु के बारे में अपने भय को रेखांकित करते हुए कहा था कि मृत्यु का एक अर्थ ये भी होता है कि आप अपने दोस्तों से फिर नहीं मिल पाते हैं।[७]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

  • बीबीसी हिन्दी पर अल्बर्टो नेजर की एक समीक्षा

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