गुजरात का इतिहास

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लोथल का प्राचीन पक्का कुँवा और जलनिकास के लिए बनीं पक्की नालियाँ
गुप्तकाल में निर्मित गोप मन्दिर

गुजरात का इतिहास पाषाण युग के बस्तियों के साथ शुरू हुआ, इसके बाद चोलकोथिक और कांस्य युग के बस्तियों जैसे सिंधु घाटी सभ्यता[१] गुजरात प्रदेश के पश्चिम में विशाल सागर तट है। इस तट पर आकर जो लोग बसे उनके आदिपुरुष अफ्रीका के पूर्वी किनारे से आए होंगे, ऐसा अनुमान किया जाता है। इस अनुमान का आधार यह है कि जब हिमालय का सृजन हुआ, उस दौरान भारत के पश्चिमी भाग से अफ्रीका का भू-खंड अलग हो गया। इस भौगोलिक नवसृजन की प्रक्रिया को ध्यान में रखा जाए तो इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता कि आदिमानव समूह, जो अफ्रीका में बसता था ओर वही वर्तमान सौराष्ट्र कहे जाने वाले भू-भाग में भी बसा हुआ था। नक्शे को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि ये दोनों भू-खंड एक दूसरे से अलग हुए हैं और उनके बीच का भाग अरब सागर बना है। विश्व में सिंहों की आबादी गुजरात के सौराष्ट्र स्थित गिर के जंगल और अफ्रीका के जंगल-केवल इन दो जगहों में ही पाई जाती है। इन दोनों—अफ्रीका के सिंह और गिरि के भारतीय सिंह में जो अंतर है, वह पर्यावरण की भिन्नता के साथ सामंजस्य बैठाने के कारण है आया है।

सिंहों पर अध्ययन करनेवाले प्राणि वैज्ञानिकों का मानना है कि एशियन लायन और अफ्रीकन लायन का विकास किसी एक ही मूल से हुआ है। इस तरह गुजरात का इतिहास, उसकी भूमि और उस पर लोगों की बनावट अत्यंत प्राचीन है और यह हिमालय के सृजन की भौगोलिक प्रक्रिया से पहले की है।

इसके बाद पाषाण युग के प्रगैतिहासिक काल के ताम्र व कांस्य युग तक के कालखंड तथा ईसा पूर्व 322 से सन् 1304 तक की समयावधि के कालखंड हैं। इन कालखंडों में यहाँ अनेक जातियों का आगमन हुआ। वे यहाँ आईं और आकर बस गईं। नृवंश-शास्त्रियों की खोजों के अनुसार सत्तर से बाइस लाख वर्ष पहले गुजरात में जो लोग रहते थे, वे नीग्रो या निग्रिटो जाति के थे। इसका प्रमाण यह है कि उनके अस्थि-पिंजर हमें सौराष्ट्र क्षेत्र में मिले हैं, जिनके सिर लंबे, कद साधारण, कपाल उभरा हुआ और भौहें तथा होंठ लटके हुए हैं।

इसके बाद पौराणिक साहित्य तथा उसके पहले के वेदकालीन साहित्य में गुजरात-सौराष्ट्र के भू-प्रदेश और उस पर रहनेवालों के अनेक उल्लेख मिलते हैं। ऐतिहासिक युग के आरंभ के साथ ही विविध जातियों के आगमन और यहां बस जाने का भी इतिहास भी मिलता है। इस प्रकार गुजरात और उसके निवासियों का इतिहास अत्यन्त प्राचीन और जीवन्त है, जो पृथ्वी के पटल पर हिमालय जैसे भू-भौगोलिक परिवर्तन से पहले ही आरंभ हो चुका था।

सन्दर्भ

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इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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