गरतोक

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गरतोक
སྒར་ཐོག

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सूचना
प्रांतदेश: न्गारी विभाग, तिब्बत
जनसंख्या (१९८०): १०,००० (अनुमानित)
मुख्य भाषा(एँ): तिब्बती
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गरतोक (तिब्बती: སྒར་ཐོགवायली: sGar-thog), जिसे अब गरयार्सा (तिब्बती: sGar-dbyar-sa, "ग्रीष्मकालीन शिविर की जगह"; वेड–गिल्स रोमनीकरण: Ka-erh-ya-sha) कहा जाता है,[१][२] तिब्बत में सिन्धु नदी के तट पर स्थित एक बाजार था। यह शिगात्से से लेह को जाती सड़क पर पड़ता था, और शिमला के पूर्व की ओर को था।[३] गरतोक समुद्र तल से १४,६३० फुट (४,४६० मीटर) की ऊंचाई पर कैलाश पर्वतमाला के आधार पर स्थित है। किसी समय यह पश्चिमी तिब्बत का एक मुख्य शहर और इसकी ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था, और इसके व्यवस्थापक को गार्पों बुलाया जाता था।[४] नगर के नाम का मतलब 'सैन्य शिविर' है।[५] मध्य १९८० में इसकी अनुमानित जनसंख्या कम से कम १०,००० मानी जाती है।

ल्हासा की संधि के अनुसार १९०४ में गरतोक को भी यातुंग और ग्यांत्से के साथ साथ ब्रिटिश व्यापार के लिए खोल दिया गया। उसी वर्ष ल्हासा से वापस आ रहे कप्तान सीएचडी राइडर ने गरतोक का दौरा किया, और पाया कि सर्दियों की तिमाहियों में केवल कुछ दर्जन लोग ही यहाँ रहते थे, और उनके घर एक बंजर सादे मैदान के मध्य बने हुए थे। गर्मियों में, हालांकि, तिब्बत और लद्दाख के बीच का सारा व्यापार गरतोक के रास्ते से ही होता था।

सन्दर्भ

  1. Encyclopædia Britannica, Vol. 10 (Encyclopædia Britannica, 1973; ISBN 0852291736स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।), p. 3.
  2. John Keay, History of World Exploration (The Royal Geographical Society; Mallard Press, 1991), p. 76.
  3. इस लेख की सामग्री सम्मिलित हुई है ब्रिटैनिका विश्वकोष एकादशवें संस्करण से, एक प्रकाशन, जो कि जन सामान्य हेतु प्रदर्शित है।.
  4. Derek Waller, The Pundits: British Exploration of Tibet and Central Asia (University Press of Kentucky, 2004; ISBN 0813191009स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।), pp. 100-01.
  5. Eric Teichman, Travels of a Consular Officer in Eastern Tibet: Together with a History of the Relations Between China, Tibet and India (Cambridge: The University Press, 1922), p. 130.