गंगासती
गंगासती भारत की मध्यकालीन भक्ति परंपरा की संत कवयित्री थीं जिन्होंने गुजराती भाषा में कई भक्ति गीतों की रचना की। [१] [२]
उनके जीवन के बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि उनके गीत और जीवन की कहानी मुख्य रूप से मौखिक परंपराओं द्वारा प्रसारित हुई थी। पारम्परा के अनुसार, उनका जन्म 12 वीं से 14 वीं शताब्दी के बीच गुजारात के राजपारा नामक गाँव में सरवैया (दक्षिणी सौराष्ट्र के क्षत्रिय यादव वंश) राजपूत परिवार में हुआ था। राजपारा गाँव वर्तमान समय में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र जिले के भावनगर, पलिताना तालुका में है। उनका विवाह वर्तमान भावनगर के पास समाधिआला गांव के कहलसांग गोहिल या कलुभा गोहिल के साथ हुआ था जो भक्ति आंदोलन की निजिया परंपरा के अनुयायी थे। पति-पत्नी दोनों धर्मप्रेमी थे और उनका घर भक्ति गतिविधियों का केंद्र बन गया, जो आने वाले साधुओं और अन्य लोगों की संख्या के लिए छोटा था। अतः उन लोगों ने बाहर खेत में जाकर एक झोपड़ी का निर्माण किया जहाँ उन्होंने अपनी धार्मिक गतिविधियाँ जारी रखीं। किंवदन्तियों के अनुसार , अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को सिद्ध करने के लिए, कलुभा ने एक बार एक गाय को पुनर्जीवित किया लेकिन बाद में उसे पछतावा हुआ और उसने समाधि लेने और अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय किया। गंगासती ने उनसे आग्रह किया कि वह उन्हें भी समाधि लेने दें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और उन्हें तब तक इंतजार करने का निर्देश दिया जब तक कि वह भक्ति के मार्ग में पनबाई (भक्तिमार्ग) को सिद्ध नहीं कर लें। वह मान गयीं और उन्होने लगातार बावन दिनों तक प्रति दिन एक भजन की रचना की। इसके बाद उन्होंने समाधि ले ली। [१] [३]
पठनीय
संदर्भ
- ↑ अ आ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।Susie J. Tharu; Ke Lalita (1991). Women Writing in India: 600 B.C. to the early twentieth century. Feminist Press at CUNY. pp. 87–88. ISBN 978-1-55861-027-9. Retrieved 5 August 2014. सन्दर्भ त्रुटि:
<ref>
अमान्य टैग है; "TharuLalita1991" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ Shrivastava, Meenal (2017-01-02). "Invisible Women in History and Global Studies: Reflections from an Archival Research Project". Globalizations. 14 (1): 1–16. doi:10.1080/14747731.2016.1158905. ISSN 1474-7731.
- ↑ Pande, Rekha (December 2012). "Women's voice in Bhakti literature". Research in World Literature, ( A Refereed Journal in Literature Studies) (in अंग्रेज़ी): 70–71. ISSN 2319-5266 – via ResearchGate.