खालिद इब्न अल-वालिद
खालिद इब्न अल-वालीद Khālid ibn al-Walīd خالد بن الوليد | |
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उपनाम | अल्लाह की तलवार |
जन्म | साँचा:br separated entries |
देहांत | साँचा:br separated entries |
समाधिस्थल | खालिद इब्न अल वालिद मस्जिद |
निष्ठा | रशीदुन ख़िलाफ़ल |
सेवा/शाखा | रशीदुन सेना |
सेवा वर्ष | 632–638 |
उपाधि | जनरल |
दस्ता | मोबाइल गार्ड |
नेतृत्व |
कमांडर इन चीफ (632–634) फील्ड कमांडर (634–638) मोबाइल गार्ड के कमांडर(634–638) इराक के सेना राज्यपाल (633–634) Chalcia के राज्यपाल(637–638) |
खालिद इब्न अल वालिद; Khālid ibn al-Walīd (अरबी: خالد بن الوليد सैफ अल्लाह अल मासुल) खालिद इब्न अल वालिद जो रणनीति और कौशल के लिए विख्यात हैं ।[१] इनका जन्म 592 ईस्वी में अरब के एक नामवर परिवार में हुआ था खालिद बिन वालिद ने जब इस्लाम धर्म ग्रहण नही किया था तब इस्लाम के कट्टर शत्रु थे लेकिन 628 ईस्वी में इस्लाम स्वीकार किया इसके बाद हजरत मुहम्मद साहब के एक मुख्य मित्र (सहाबी) के रूप में पहचान बनायी । मुहम्मद के दुनिया से जाने के बाद जब इस्लाम के उत्तराधिकारी जिन्हें राशीदुन खलीफा के रूप में जाना जाता है हजरत अबूबक्र और खलीफा उमर की खिलाफत में इन्हें इस्लामी सेना का कमांडर नियुक्त किया गया । 7 वीं शताब्दी में जो इस्लामी सेना को सफलता प्राप्त हुई उसका श्रेय खालिद बिन वालिद को दिया जाता है इन्होने अलग अलग दोसौ से अधिक युध्दों का नेत्तृव किया । रशीदुन सेना का नेत्तृव करते हुए रोमन सीरिया, मिस्त्र, फारस, मेसोपोटामिया पर इस्लामी सेना ने सफलतापूर्वक विजय प्राप्त की जिसके लिए खालिद बिन वालिद को सैफ अल्लाह या अल्लाह की तलवार के नाम से जाता है। इनकी मृत्यु सेना सेवा समाप्ति के चार वर्ष वाद 642 ईस्वी मे होम्स सीरिया में हुई थी इन्हे होम्स में ही दफनाया गया था, उस स्थान पर खालिद बिन वालिद के नाम से मस्जिद स्थित है। और जहाँ तक इस्लामी युध्द तथा लड़ाईयों पर चर्चा की जाये तो खालिद बिन वालिद का नाम प्रमुखता से लिया जाता क्योंकि हर युध्द में जांबाजी तथा पैंतरेबाजी बेमिसाल थी जिससे दुश्मन सेना के छक्के छूट जाते थे तथा दुनिया के एकमात्र ऐसे कमांडर हैं जिन्होंने अपने जीवन में एक भी युध्द या लड़ाई नहीं हारी।
इस्लाम धर्म ग्रहण
अल वाक्दी ने बयान किया है कह खालिद प्रथम शुन्य 8 हिजरी को इस्लाम स्वीकार कर लिया। और मुत्तह की लड़ाई में शामिल हुए इस रोज़ अमीर न होने की कारण से आप अमीर बने और इस रोज़ आपने प्रचण्ड युद्ध की जिसकी उदाहरण नहीं देखी गई और आपके हाथ से 9 तलवारें टूट गईं।
सैन्य नेत्तृव
वर्ष | लड़ाई/युध्द | नेतृत्व/विवरण |
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23 मार्च 625 | हुद की लड़ाई | |
629 | मुत्हा की लड़ाई | खालिद बिन वालिद ने विशाल रोम सेना के सामने एक छोटी सी मुस्लिम सेना का नेत्तृव किया और रोमन सेना को बुरी तरह पराजित कर विजय प्राप्त की । |
अप्रैल 633 | चेन्स की लड़ाई | खालिद बिन वालिद की फारसी साम्राज्य के विरुध्द पहली लड़ाई थी |
मई 633 | बलाजा की लड़ाई | खालिद बिन वालिद निर्णाक पैंतरेबाजी का उपयोग कर फारसी साम्राज्य की बड़ी ताकतों को हरा दिया । |
मई 633 | उल्लेश की लड़ाई | |
नबम्वर 633 | जुमाइल की लड़ाई | फारसी साम्राज्य को पराजित करके मेसोपोटामिया, इराक पर विजय प्राप्त की । |
जनवरी 634 | फिराज की लड़ाई | इस लड़ाई में खालिद बिन वालिद ने फारसी साम्राज्य और ईसाई अरबो की बड़ी संयुक्त सेना को हरा दिया था । |
जून–जूलाई 634 | बोसरा की लड़ाई | खालिद बिन वालिद के नेत्तृव में अरब मुस्लिम सेना ने रोमन और ईसाई अरबों की एक विशाल सेना को हरा कर सीरिया के छोटे से शहर वोसरा जीता, |
जूलाई 634 | अजंदायन की लड़ाई | मुस्लिम सेना खालिद बिन वालिद के नेत्तृव तथा रोमन सेना हरक्यूलस के नेत्तृव में एक बड़ी लड़ाई हुई थी जिसमें मुस्लिम सेना ने विजय प्राप्त की । |
635 | फाल्ह की लड़ाई | खालिद बिन वालिद ने रोमन साम्राज्य को हरा कर रोमन साम्राज्य से फिलिस्तीन, जार्डन और सीरिया को जीता जिसका नेत्तृव हरक्यूलस ने किया था । |
अगस्त 636 | यरमूक की लड़ाई | खालिद बिन वालिद के नेत्तृव में रोमन साम्राज्य को अरब मुस्लिम सेना ने बुरी तरह पराजित किया । |
637 | आयरन ब्रिज की लड़ाई | हरक्यूल्स को पराजित किया , अन्तिम लड़ाई थी खालिद बिन वालिद ने जिसमें रोमन सेना को हराकर उत्तरी सीरिया तथा दक्षिण तुर्की पर विजय प्राप्त की । |
637 | हजिर की लड़ाई | खालिद बिन वालिद के नेत्तृव में मुस्लिम सेना ने सीरिया में स्थित वाईजेंटाईन चौकी किन्नासरीन से रोमन सेना को भगाया ! |
इन्हें भी देखें
- लैला बिन्त अल-मिन्हाल