परिकलक
परिकलक (अंग्रेजी: कैलकुलेटर), अन्य हिन्दी पर्याय, गणक या गणित्र), गणितीय गणनाएं (परिकलन) करने का एक उपकरण होता है।[१] यद्यपि आधुनिक परिकलकों में प्रायः सामान्य उपयोग का एक संगणक (कंप्यूटर) होता है, फिर भी परिकलक, कंप्यूटर से इस मामले में भिन्न है कि परिकलक की अभिकल्पना अपेक्षाकृत छोटी गणनाएं करने के लिये होता है। इसके उपयोग के लिये प्रोग्रामिंग की आवश्यकता नही होती और यह बहुत सस्ता और आकार में छोटा होता है। इसके पहले गणनाएं करने के लिये स्लाइड रूल, गणितीय सारणियाँ, अबाकस आदि प्रयोग में लाये जाते थे। इन सबका प्रयोग परिकलक की तुलना में अपेक्षाकृत बहुत असुविधाजनक होता था। आधुनिक परिकलक विद्युत शक्ति (छोटे शुष्क सेल आदि) से चलते हैं; सस्ते, छोटे, अनेक जटिल गणनाओं की क्षमता वाले, सरलता से काम करने वाले तथा तेज गणना में दक्ष होते हैं।
इतिहास
सबसे पहले जो साधारण परिकलक अस्तित्व मे आये थे वो पूर्ण: यांत्रिक (मेकैनिकल) थे। इसके बाद वैद्युत-यांत्रिक (एलेक्ट्रोमेकैनिकल) परिकलक आये; इसके बाद वाल्व तकनीक पर आधारित परिकलक आये; फिर ट्रांज़िस्टर और फिर एकीकृत परिपथ (आई.सी) आधारित परिकलक आये।
परिकलक हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर; यांत्रिक या इलेक्ट्रॉनिक हो सकते हैं। कुछ परिकलक अन्य उपकरणों में उपलब्ध होते हैं, जैसे पी.डी.ए और मोबाइल फोन में उपलब्ध परिकलक। सामान्य प्रयोग परिकलक के अलावा विशेष डिजाइंड परिकलक भी होते हैं जैसे वैज्ञानिक परिकलम, जिनमें सामान्य गणित हणनाओं के संग कुछ जटिल गणनाएं जैसे त्रिगुणमितीय एवं सांख्यिकीय गणनाएं भी संभव होती हैं। कई परिकलकों में कंप्यूटरीय बीजगणित की भी क्षमता होती हैं। ग्राफ़िक परिकलक ग्राफ प्रकार्य व उच्च आयाम के यूक्लिडियन स्पेस की गणनाएं भी उपलब्ध कराते हैं।
अधिकांश परिकलकों में निम्न कुंजियां उपलब्ध होती हैं: 1,2,3,4,5,6,7,8,9,0,+,-,×,÷ (/),.,=,%, एवं ± (+/-)। कुछ परिकलकों में लेखा उपयोक्ताओं के लिये 00 और 000 कुंजी भी हो सकतीं हैं। इनसे बड़ी गणनाओं के टंकण में सुविधा होती है।
सन्दर्भ
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