किशोरी लाल गोस्वामी

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किशोरी लाल गोस्वामी जी का जन्म सन् 1865 ई. में वृंदावन के एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। इनका परिवार निम्बार्क सम्प्रदाय[१] का अनुयायी था। किशोरी लाल गोस्वामी के पितामह वृंदावन के सर्वश्रेष्ठ विद्वान् एवं आचार्य थे। किशोरी लाल गोस्वामी के नाना वाराणसी के संस्कृतज्ञ थे। इन्हीं से भारतेन्दु जी ने छन्दशास्त्र सीखा था। किशोरी लाल जी का लालन-पालन और शिक्षण इनके नाना के घर वाराणसी में हुआ। इसी कारण किशोरी लाल गोस्वामी भारतेन्दु[२] जी के सम्पर्क में आए। 1898 ई. में किशोरी लाल गोस्वामी जी ने ‘उपन्यास’ पत्रिका निकाली जिसमें इनके उपन्यास प्रकाशित हुआ करते थे। किशोरी लाल गोस्वामी जी ‘सरस्वती’ के पंचायती सम्पादक मण्डल के सदस्य थे। उनने लगभग 65 उपन्यासों के अतिरिक्त कई कविताएं और विविध विषयों पर अपनी सिद्धहस्त लेखनी चलाई। इंदुमती और गुलबहार कहानियों के लेखक गोस्वामी जी को प्रथम कहानीकार होने का श्रेय प्राप्त है। किशोरी लाल गोस्वामी जी सांसारिक यात्रा पूर्ण कर 67 वर्ष की उम्र (1932 ई.) में स्वर्गगामी हुए।

मुख्य कृतियाँ

उपन्यास

त्रिवेणी वा सौभाग्य श्रेणी, प्रणयिनी-परिणय, हृदयहारिणी वा आदर्श रमणी, लवंगलता वा आदर्श बाला (हृदयहारिणी उपन्यास का उपसंहार), सुल्ताना रज़िया बेगम वा रंगमहल में हलाहल,ताराबाई, गुलबहार, हीराबाई वा बेहयाई का बोरका (ऐतिहासिक उपन्यास), लावण्यमयी (बंगभाषा के आश्रय से), सुख शर्वरी (बंगभाषा के आश्रय से), प्रेममयी (बंगभाषा के आश्रय से), इंदुमती वा वनविहंगिनी (ऐतिहासिक कहानी), गुलबहार वा आदर्श भ्रातृस्नेह, तारा वा क्षत्र-कुल-कमलिनी (ऐतिहासिक उपन्यास), तरुण तपस्विनी वा कुटीर वासिनी, चंद्रावली वा कुलटा कुतूहल, जिंदे की लाश (जासूसी उपन्यास), माधवी-माधव वा मदन-मोहिनी (दो भागों में), लीलावती वा आदर्श सती, राजकुमारी, चपला वा नव्य समाज चित्र, कनक कुसुम वा मस्तानी, मल्लिका देवी वा बंग सरोजिनी, पुनर्जन्म वा सौतिया डाह, सोना और सुगंध वा पन्नाबाई, लखनऊ की कब्र वा शाही महलसरा, अँगूठी का नगीना, लाल कुँवर वा शाही रंगमहल, गुप्त गोदना

कविता

किशोरी सतसई

नाटक

चौपट-चपेट, मयंक मंजरी


सन्दर्भ

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