करुण

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करुण
Dammed portion of Karun River2.jpg
Masjed Soeyman के पास dammed भाग

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करुण शब्द का प्रयोग सहानुभूति एवं दया मिश्रित दुःख के भाव को प्रकट करने के लिये किया जाता है।भरतमुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ में प्रतिपादित आठ नाट्यरसों में शृंगार और हास्य के अनन्तर तथा रौद्र से पूर्व करुण रस की गणना की गई । ‘रौद्रात्तु करुणो रस:’ कहकर 'करुण रस' की उत्पत्ति 'रौद्र रस' से मानी गई है और उसकी उत्पत्ति शापजन्य क्लेश विनिपात, इष्टजन-विप्रयोग, विभव नाश, वध, बन्धन, विद्रव अर्थात पलायन, अपघात, व्यसन अर्थात आपत्ति आदि विभावों के संयोग से स्वीकार की है। साथ ही निर्वेद, ग्लानि, चिन्ता, औत्सुक्य, आवेग, मोह, श्रम, भय, विषाद, दैन्य, व्याधि, जड़ता, उन्माद, अपस्मार, त्रास, आलस्य, मरण, स्तम्भ, वेपथु, वेवर्ण्य, अश्रु, स्वरभेद आदि की व्यभिचारी या संचारी भाव के रूप में परिगणित किया है।

उदाहरण

  • हम कहीं करुण होते हैं और कहीं क्रूर होते हैं।
  • रावण के शव पर मन्दोदरी करुण क्रन्दन करने लगी।
  • द्रौपदी की करुण पुकार सुनकर भगवान कृष्ण दौड़ते हुये आये।
  • संकल्प आत्मा का बल है और प्रार्थना आत्मा की करुण पुकार।
  • मधुशाला की रूबाइयां, असंख्य दुख सहे चुके एक नौजवान के हृदय से निकली करुण पुकार थी।
  • मणि खोये भुजंग - सी जननी , फन - सा पटक रही थी शीश , अन्धी आज बनाकर मुझको , क्या न्याय किया तुमने जगदीश ?

मूल

  • करुण मूलतः संस्कृत का शब्द है।

अन्य अर्थ

  • सहानुभूति
  • दयालुता

संबंधित शब्द

  • करुणा
  • करुणाकर
  • करुणानिधान
  • करुणासागर
  • कारुणिक

हिंदी में

  • [[ ]]

अन्य भारतीय भाषाओं में निकटतम शब्द