कच्चतीवु
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साँचा:template otherसाँचा:main otherकच्चतीवु ( तमिल: கச்சத்தீவு, सिंहली: කච්චතීවු, अंग्रेज़ी: Katchatheevu) श्रीलंका द्वारा प्रशासित एक निर्जन द्वीप है। 1976 तक यह क्षेत्र भारत और श्रीलंका के बीच विवादित था। यह द्वीप, नेदुन्तीवु, श्रीलंका और रामेश्वरम (भारत) के बीच स्थित है और पारंपरिक रूप से श्रीलंका के तमिल और तमिलनाडु के मछुआरों द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है। [१] 1974 में भारत ने सशर्त समझौते के नाते इस द्वीप के स्वामित्व को श्रीलंका को सौंप दिया।
भूगोल
इस द्वीप का क्षेत्रफल स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। है। यह समुद्री सीमा के श्रीलंकाई तट पर स्थित है।
इतिहास
यह द्वीप पहले रामनाद साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज के दौरान यह मद्रास प्रेसीडेंसी का भाग बन गया था। [१] इसे भारत सरकार ने 1976 में श्रीलंका को कुछ शर्तों पर सौंप दिया, जिनमें से एक यह थी कि भारतीय मछुआरों का यहाँ मछली पकड़ने का अधिकार सुरक्षित रहेगा। इस को लेकर हाल के कुछ सालों में कुछ छोटे विवाद उत्पन्न हुए हैं।
सेंट एंथोनी कैथोलिक श्राइन
इस द्वीप पर यह एकमात्र धार्मिक स्थल है। सेंट एंटनी कैथोलिक श्राइन एक सदी से ज़्यादा पुरानी परंपराओं का पालन करती है। इसका निर्माण श्रीनिवास पादैयाची (एक भारतीय तमिल कैथोलिक) ने कराया था। कच्चतीवु जाने के लिए किसी को भारतीय पासपोर्ट या श्रीलंकाई वीजा रखने की आवश्यकता नहीं है।[२]