ओंके ओबव्वा
ओंके ओबव्वा, (18 वीं शताब्दी) (कन्नड़: ಓಬವ್ವ) एक महिला थी, जिसने हैदर अली की सेना से, अकेले मूसल (ओंके)[१] के साथ भारत के कर्नाटक राज्य के चित्रदुर्ग में लड़ाई लड़ी थी।[२] उनका पति चित्रदुर्ग के चट्टानी किले में एक प्रहरी था।[३] कर्नाटक राज्य में, अब्बक्का रानी, केलदी चेन्नम्मा और कित्तूर चेन्नम्मा के साथ- साथ ओबव्वा भी महिला योद्धाओं और देशभक्तों के रूप में जानी जाती है। (18 ಶತಮಾನ ಹೈದರಾಲಿ ಕೊಟೆಯಲ್ಲಿ ಮುತ್ತಿಗೆ ಕೋಟೆ ಅವರು ಕೈ ವಶವಾಗಲೀಲ )
ओबव्वा का साहस
मदकरी नायक के शासनकाल के दौरान, चित्रदुर्ग शहर को हैदर अली (1754-1779) के सैनिकों द्वारा घेर लिया गया था। किले को चारों ओर से हैदर अली की फौजों ने घेर रखा था और जीतने के कोई ख़ास विकल्प नहीं दिख रहे थे। लेकिन किला बंद कर के अन्दर बैठे सिपाहियों पर सीधा हमला करने का कोई उपाय भी नहीं था। तभी उन्हें चट्टानों में एक छेद के माध्यम से चित्रदुर्ग किले में प्रवेश करने वाला एक व्यक्ति दिखा, और हैदर अली ने उस छेद के माध्यम से अपने सैनिकों को अन्दर भेजने की योजना बनाई। उस वक्त वहाँ कहले मुड्डा हनुमा नाम का एक प्रहरी पहरा दे रहा था। वह अपने घर दोपहर का भोजन करने चला गया। उसके भोजन के दौरान, उसकी पत्नी ओबव्वा तालाब से पानी लेने चली गई,[३] जो पहाड़ी के आधे हिस्से में चट्टानों में छेद के पास था। उसने देखा कि हमलावर सैनिक छेद के माध्यम से किले में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं।[४] वह सैनिकों को मारने के लिए ओंके या मूसल (धान को कुटने के लिये एक लकड़ी का लंबा डंडा) लेकर छेद के पास खड़ी हो गई। चूकिं छेद काफी छोटा था, जिसमें से एक-एक करके ही आया जा सकता था। जैसे ही कोई सैनिक उस छेद से अन्दर आता, ओबव्वा उसके सिर पर जोर से प्रहार करती, साथ ही साथ वह सैनिकों के शव को एक ओर करती जाती ताकि बाकी सैनिकों को संदेह न हो। पानी लाने में देर होता देख, ओबाव्वा का पति मुड्डा हनुमा वहां पहुंचा, और ओबव्वा को खून से सने हुए मूसल और उसके आस-पास दुश्मन सैनिकों के कई शवों को देखकर हैरान रह गया। बाद में, उसी दिन, ओबव्वा या तो सदमे से या दुश्मन सैनिकों द्वारा मृत पाई गई थी।[१] वह होलायस (चौलावादी) समुदाय से थी।[५] हालांकि उसके इस बहादुर प्रयास ने उस समय किले को बचा लिया, लेकिन 1779 के दौरान मादकरी, हैदर अली द्वारा हमले का विरोध नहीं कर सके, और चित्रदुर्ग के किलें में हैदर अली का कब्ज़ा हो गया था।[६]
विरासत
उन्हें कन्नड़ महिला गौरव का प्रतीक माना जाता है। वह छेद जिसके माध्यम से हैदर अली के सैनिक अन्दर आने का प्रयास किया था, उसे ओंके ओबव्वा किंडी (किंडी = छेद) या ओंके किंडी कहा जाता है।[५] पुत्तन्ना कनागल द्वारा निर्देशित नागरहुव चित्र के एक प्रसिद्ध गीत-अनुक्रम में उनके प्रसिद्ध प्रयास को दर्शाया गया है। चित्रदुर्ग में खेल स्टेडियम का नाम उनके नाम पर - "वीर वनीथे ओंके स्टेडियम", रखा गया है,[७] और चित्रदुर्ग में जिला आयुक्त कार्यालय के सामने अशोक गुडीगर द्वारा निर्मित उनकी प्रतिमा को स्थापित किया गया है।[८] ==इन्हें भी देखें== onakke obba a was a great freedom fighter
सन्दर्भ
- ↑ अ आ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
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- ↑ साँचा:cite book
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