एकमुश्त भुगतान पॉलिसी

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एकमुश्त भुगतान पॉलिसी एक संविदात्मक जीवन बीमा है जो इस प्रकार बनाया गया है कि एक निश्चित समय अवधि के बाद (इस अवधि के पूर्ण हो जाने पर) या समयपूर्व मृत्यु हो जाने पर, ग्राहक को एकमुश्त राशि का भुगतान कर दिया जाये. आदर्शतः यह समयावधि दस, पंद्रह या कुछ निश्चित आयु सीमा के लिए 20 वर्ष तक होती है। कुछ पॉलिसी ऐसी भी होती हैं जो घातक बिमारियों के होने पर भी भुगतान कर देती हैं।

यह सभी पॉलिसी सामान्यतया पारंपरिक रूप से लाभ युक्त या यूनिट-लिंक्ड (इसमें लाभ सहित फंड के साथ एकीकृत होने वाली पॉलिसी भी शामिल हैं) होती हैं।

एकमुश्त राशि का भुगतान ज़ल्दी भी प्राप्त किया जा सकता है (या इसे 'सरेंडर' किया जा सकता है) ऐसे में पॉलिसीधारक को वह सरेंडर मूल्य प्राप्त होता है जो बीमा कम्पनी द्वारा इस आधार पर निर्धारित किया जाता है कि वह पॉलिसी कितने दिनों से चल रही है और इसमें अब तक कुल कितना भुगतान किया जा चुका है।

पारंपरिक लाभ युक्त एकमुश्त भुगतान

इसके अंतर्गत ग्राहक को एक निश्चित राशि के भुगतान का वादा किया जाता है जिसे बीमाकृत राशि कहते हैं और इसे निवेश प्रदर्शन के आधार पर सामायिक (उदहारण के लिए वार्षिक) लाभों के संयोजन द्वारा बढ़ाया जा सकता है। निश्चित अवधि की समाप्ति पर नियमित लाभ (जिन्हें कभी कभी रिवर्सनरी बोनस भी कहते हैं) मिलना सुनिश्चित होता है और अंत में एक अन्य गैर-प्रत्याभूत लाभ भी दिया जा सकता है जिसे टर्मिनल बोनस के नाम से जाना जाता है। विपरीत निवेश परिस्थितियों में नकदीकरण मूल्य या सरेंडर मूल्य को एक 'बाज़ार मूल्य ह्रास (मार्केट वैल्यू रिडक्शन)' या एमवीआर (MVR) के परिमाण के बराबर घटाया जा सकता है (कभी कभी इसकी ओर बाज़ार मूल्य समायोजन के नाम से भी संकेत किया जाता है लेकिन अब इस शब्दावली का प्रयोग कम होता जा रहा है क्योंकि फाइनेंशियल सर्विसेज़ एथॉरिटी का दबाव है कि स्पष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाये). ऐसे किसी उपाय का प्रयोग उन निवेशकों की रक्षा करने के लिए किया जाता है जो फंड में बने रहना चाहते हैं बनिस्बत उनके जो स्टॉक बाज़ार के नीचे जाने की दशा में थोड़े से मुनाफे के साथ अपने पैसे निकाल लेना चाहते हैं और ऐसा करते समय वे जोखिम से मिलने वाली सुरक्षा को भी ध्यान में नहीं रखते. यदि एक एमवीए (MVA) के कारण समयावधि समाप्त होने से पूर्व ही भुगतान करना पड़ता है तो उस भुगतान में तत्कालीन कोष प्रबंधक द्वारा अपनायी गयी नीतियों के आधार कटौती की जाती है।

पूर्व में निम्न सरेंडर मूल्य देने और किसी ग्राहक द्वारा भुगतान कर पाने में असमर्थ होने के दौरान निम्न स्तर की रियायत देने के लिए एकमुश्त भुगतान पॉलिसी की आलोचना की जा चुकी है। यह पॉलिसी गिरवी वस्तु के बदले में ऋण देने वाली उन प्रणाली के विपरीत थी जो ऐसी परिस्थितियों में कुछ हद तक रियायत दे देती हैं, अतः अतिरेक आदि के परिणामस्वरूप, जीवन बीमा कम्पनियां प्रायः ध्यानपूर्वक प्रीमियम नहीं दिए जाने पर योजनागत 'भुगतान' का तरीका अपनाती हैं।

यूनिट लिंक्ड एकमुश्त भुगतान

यूनिट-लिंक्ड एकमुश्त भुगतान ऐसे निवेश हैं जहां प्रीमियम को एकीकृत बीमा फंड की इकाईयों में निवेश कर दिया जाता है। जीवन बीमा की लागत की पूर्ति के लिए इकाईयों को भुना लिया जाता है। पॉलिसीधारक प्रायः यह चुन सकते हैं कि उनका प्रीमियम किस फंड में और किस अनुपात में निवेश किया जा रहा है। इकाई मूल्य नियमित रूप से प्रकाशित किये जाते हैं और पॉलिसी को भुनाने पर प्राप्त होने वाली कीमत इकाईयों के वर्तमान मूल्य के बराबर होती है। यह इसकी सबसे सरल परिभाषा है।

पूर्ण एकमुश्त भुगतान

पूर्ण एकमुश्त भुगतान लाभ सहित एकमुश्त भुगतान की श्रेणी में आता है, जहां मूल बीमाकृत राशि पॉलिसी के प्रारंभ होने पर मिलने वाले डेथ बेनेफिट के बराबर होती है और वृद्धि होने की अवस्था में अंततः मिलने वाला भुगतान बीमाकृत राशि से कहीं अधिक होता है।

कम लागत वाला एकमुश्त भुगतान (लो कॉस्ट एंडोमेंट- एलसीई)

एक कम लागत वाला एकमुश्त भुगतान निम्न घटकों का संयोजन होता है: एक ऐसा एकमुश्त भुगतान जहां भविष्य की अनुमानित वृद्धि दर एक निर्धारित राशि और एक घटते हुए जीवन बीमा घटक तक पहुंचती है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मृत्यु हो जाने की अवस्था में (और पॉलिसी में सम्मिलित होने की शर्त पर किसी घातक रोग का निदान होने की अवस्था में) निर्धारित राशि का भुगतान न्यूनतम राशि के रूप में किया जायेगा.

कम लागत वाले एकमुश्त भुगतान का मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि एकमुश्त ऋण भुगतान में ब्याज का भुगतान किया जाये, केवल पॉलिसी की समयावधि के समाप्त होने पर या इससे पूर्व ही पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाने की अवस्था में ही आवश्यक प्रीमियम के साथ किया गया पूर्ण एकमुश्त भुगतान इससे अधिक होगा।

प्रचलित एकमुश्त भुगतान

प्रचलित एकमुश्त भुगतान नियम (TEPs) या दूसरे से ली गयी एकमुश्त भुगतान पॉलिसी (SHEPs), पारंपरिक लाभ युक्त एकमुश्त भुगतान हैं जो एक नए स्वामी को अपनी समयावधि के बीच ही बेच दिए गये हैं। टीईपी (TEP) मार्केट खरीदारों को (निवेशकों को) प्रेरित करते हैं कि वे बीमा कमपनी द्वारा प्रस्तावित मूल्य से अधिक सरेंडर मूल्य पर अवांछित एकमुश्त भुगतान पॉलिसी खरीदें. निवेशक सरेंडर मूल्य से अधिक मूल्य देंगे क्योंकि पॉलिसी को समय से पूर्व समाप्त कर लेने के स्थान पर उसे जारी रखने पर उसकी कीमत में वृद्धि होती है।

जब एक पॉलिसी बेची जाती है, तो उसके सभी लाभ संबंधी अधिकार उसके नए स्वामी के पास स्थानांतरित हो जाते हैं। भविष्य में किये जाने वाले प्रीमियम के भुगतान के लिए पॉलिसी का नया स्वामी जिम्मेदारी लेता है और पॉलिसी की समयावधि समाप्त हो जाने पर या पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाने पर परिपक्वता मूल्य (मेच्योरिटी वैल्यू) प्राप्त करता है। वे पॉलिसीधारक जो अपनी पॉलिसी बेच देते हैं, उन्हें पॉलिसी बेचेने के बाद जीवन बीमा का कोई लाभ नहीं मिलता और इसने बाद उन्हें यह विचार करना चाहिए कि क्या वे कोई वैकल्पिक बीमा लेना चाहते हैं।

टीईपी (TEP) बाज़ार विशेष रूप से पारंपरिक लाभ युक्त पॉलिसी से सम्बंधित कार्य करते हैं। कोई एकमुश्त भुगतान पॉलिसी इस श्रेणी में आती है या नहीं यह तय करने का सबसे सरल तरीका यह है कि आप यह देखें कि आपकी पॉलिसी के दस्तावेज़ इकाईयों का उल्लेख करते समय इकाईयों को लाभ युक्त एकीकृत इकाईयां बताते हैं या यूनिट-लिंक्ड पॉलिसी बताते हैं, यदि लाभ स्टर्लिंग में होता है तो इकाईयों का कोई उल्लेख नहीं होता है और तब यह संभवतः पारंपरिक लाभ युक्त पॉलिसी होती है। अन्य प्रकार की पॉलिसी - "यूनिट-लिंक्ड" और "लाभ के साथ एकीकृत" पॉलिसी में एक प्रदर्शन घटक होता है जो प्रत्यक्ष रूप से बाज़ार की वर्तमान निवेश परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इनका व्यवसायिक प्रयोग संभव नहीं होता है क्योंकि इस पॉलिसी पर मिलने वाली गारंटी बहुत कम होती है और इसके बाज़ार मूल्य व सरेंडर मूल्य के बीच कोई अंतर नहीं होता है।

संशोधित एकमुश्त भुगतान (यू.एस.)

संशोधित एकमुश्त भुगतान का सृजन टेक्निकल करेक्शंस एक्ट ऑफ 1988 (एच.आर. 4333, एस. 2238) में एकल प्रीमियम लाइफ (एकमुश्त भुगतान) का प्रयोग कर आश्रय के रूप में किये जाने की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप हुआ था। यह संविदाएं 7 स्तरीय वार्षिक प्रीमियम से भी निम्न स्तरीय हैं और अधिक कठोर कर नियमों के अंतर्गत आती हैं (टैक्स कोड 7702, 7702A). यह आईआरए-के सामान वार्षिकवृत्ति नियमों के भी अधीन हैं (जैसे कि 59½ की आयु से पहले मृत्युपूर्व मिले लाभ पर लगा जुर्माना). यदि एक जीवन बीमा पॉलिसी बदल दी जाती है और फिर वह 7-भुगतान नियम के लिए उपयुक्त हो जाती है तो इसे एक संशोधित एकमुश्त भुगतान के रूप में पुनर्परिभाषित किया जा सकता है।

इन्हें भी देखें

  • जीवन बीमा
  • निवेश
  • मुनाफा के साथ नीति
  • एकीकृत बीमा निधि
  • सामूहिक निवेश योजना