ऋषिकेश

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नगर
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उपनाम: योगनगरी
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देशभारत
राज्यउत्तराखण्ड
जनपददेहरादून
नगरपालिका१९५२
नाम स्रोतभगवान हृषीकेश
शासन
 • प्रणालीमेयर-काउन्सिल
 • सभाऋषिकेश नगर निगम
 • महापौरअनीता ममगाईं (भाजपा)
क्षेत्रसाँचा:infobox settlement/areadisp
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (२०११)
 • कुल१०२,१३८ (महानगरीय क्षेत्र)
 • दर्जा७वां
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
 • पुरुष५४,४४६
 • पुरुष densityसाँचा:infobox settlement/densdisp
 • महिलाएं४७,६७२
 • महिलाएं densityसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषाएँ
 • आधिकारिकहिन्दी
संस्कृत
 • अन्यगढ़वाली
समय मण्डलआइएसटी (यूटीसी+५:३०)
पिन कोड२४९२०१
टेलीफोन कोड+९१-१३५
वाहन पंजीकरणयूके-१४
साक्षरता दर (२०११)८६.८६%
• पुरुष९२.२१%
• महिला८०.७८%
• रैंक
लिंगानुपात (२०११)८७५ / १०००

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ऋषिकेश (संस्कृत : हृषीकेश) उत्तराखण्ड के देहरादून जिले का एक नगर, हिन्दू तीर्थस्थल, नगरनिगम तथा तहसील है। यह गढ़वाल हिमालय का प्रवेश्द्वार एवं योग की वैश्विक राजधानी है। ऋषिकेश, हरिद्वार से 25 किमी उत्तर में तथा देहरादून से 43 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है।

हिमालय का प्रवेश द्वार,ऋषिकेश जहाँ पहुँचकर गंगा पर्वतमालाओं को पीछे छोड़ समतल धरातल की तरफ आगे बढ़ जाती है। ऋषिकेश का शान्त वातावरण कई विख्यात आश्रमों का घर है। उत्तराखण्ड में समुद्र तल से 1360 फीट की ऊँचाई पर स्थित ऋषिकेश भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और प्राकृतिक सुन्दरता से घिरे इस धार्मिक स्थान से बहती गंगा नदी इसे अतुल्य बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं।

प्रचलित कथाएँ

ऋषिकेश से सम्बन्धित अनेक धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकण्ठ के नाम से जाना गया। एक अन्य अनुश्रुति के अनुसार भगवान राम ने वनवास के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना लक्ष्मण झूला इसका प्रमाण माना जाता है। विक्रमसंवत 1960 में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया। यह भी कहा जाता है कि ऋषि रैभ्य ने यहाँ ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान हृषीकेश के रूप में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।

आकर्षण

ऋषिकेश का विहंगम दृश्य

लक्ष्मण झूला

गंगा नदी के एक किनार को दूसर किनार से जोड़ता यह झूला नगर की विशिष्ट की पहचान है। इसे विकतमसंवत 1996 में बनवाया गया था। कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था। झूले के बीच में पहुँचने पर वह हिलता हुआ प्रतीत होता है। 450 फीट लम्बे इस झूले के समीप ही लक्ष्मण और रघुनाथ मन्दिर हैं। झूले पर खड़े होकर आसपास के खूबसूरत नजारों का आनन्द लिया जा सकता है। लक्ष्मण झूला के समान राम झूला भी नजदीक ही स्थित है। यह झूला शिवानन्द और स्वर्ग आश्रम के बीच बना है। इसलिए इसे शिवानन्द झूला के नाम से भी जाना जाता है। ऋषिकेश मैं गंगाजी के किनारे की रेेत बड़ी ही नर्म और मुलायम है, इस पर बैठने से यह माँ की गोद जैसी स्नेहमयी और ममतापूर्ण लगती है, यहाँ बैठकर दर्शन करने मात्र से ह्रदय मैं असीम शान्ति और रामत्व का उदय होने लगता है।..

त्रिवेणी घाट

त्रिवेणी घाट

ऋषिकेश में स्नान करने का यह प्रमुख घाट है जहाँ प्रात: काल में अनेक श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। कहा जाता है कि इस स्थान पर हिन्दू धर्म की तीन प्रमुख नदियों गंगा यमुना और सरस्वती का संगम होता है। इसी स्थान से गंगा नदी दायीं ओर मुड़ जाती है। गोधूलि वेला में यहाँ की नियमित पवित्र आरती का दृश्य अत्यन्त आकर्षक होता है।

स्वर्ग आश्रम

राम झूला सेतु
परमार्थ निकेतन घाट

स्वामी विशुद्धानन्द द्वारा स्थापित यह आश्रम ऋषिकेश का सबसे प्राचीन आश्रम है। स्वामी जी को 'काली कमली वाले' नाम से भी जाना जाता था। इस स्थान पर बहुत से सुन्दर मन्दिर बने हुए हैं। यहाँ खाने पीने के अनेक रस्तरां हैं जहाँ केवल शाकाहारी भोजन ही परोसा जाता है। आश्रम की आसपास हस्तशिल्प के सामान की बहुत सी दुकानें हैं।

नीलकण्ठ महादेव मन्दिर

लगभग 5,500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर नीलकण्ठ महादेव मन्दिर स्थित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मन्थन से निकला विष ग्रहण किया गया था। विषपान के बाद विष के प्रभाव के से उनका गला नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकण्ठ नाम से जाना गया था। मन्दिर परिसर में पानी का एक झरना है जहाँ भक्तगण मन्दिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।

भरत मन्दिर

यह ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मन्दिर है जिसे 12 शताब्दी में आदि गुरू शंकराचार्य ने बनवाया था। भगवान राम के छोटे भाई भरत को समर्पित यह मन्दिर त्रिवेणी घाट के निकट ओल्ड टाउन में स्थित है। मन्दिर का मूल रूप 1398 में तैमूर आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हालाँकि मन्दिर की बहुत सी महत्वपूर्ण चीजों को उस हमले के बाद आज तक संरक्षित रखा गया है। मन्दिर के अन्दरूनी गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा एकल शालीग्राम पत्थर पर उकेरी गई है। आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रखा गया श्रीयन्त्र भी यहाँ देखा जा सकता है।

कैलाश निकेतन मन्दिर

लक्ष्मण झूले को पार करते ही कैलाश निकेतन मन्दिर है। 12 खण्डों में बना यह विशाल मंदिर ऋषिकेश के अन्य मन्दिरों से भिन्न है। इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।

वशिष्ठ गुफा

ऋषिकेश से 22 किलोमीटर की दूरी पर 3,000 साल पुरानी वशिष्ठ गुफा बद्रीनाथ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। इस स्थान पर बहुत से साधुओं विश्राम और ध्यान लगाए देखे जा सकते हैं। कहा जाता है यह स्थान भगवान राम और बहुत से राजाओं के पुरोहित वशिष्ठ का निवास स्थल था। वशिष्ठ गुफा में साधुओं को ध्यानमग्न मुद्रा में देखा जा सकता है। गुफा के भीतर एक शिवलिंग भी स्थापित है। यह जगह पर्यटन के लिये बहुत मशहूर है।

गीता भवन

राम झूला पार करते ही गीता भवन है जिसे विकतमसंवत 2007 में श्री जयदयाल गोयन्दकाजी के द्वारा बनवाया गया था। यह अपनी दर्शनीय दीवारों के लिए प्रसिद्ध है। यहां रामायण और महाभारत के चित्रों से सजी दीवारें इस स्थान को आकर्षण बनाती हैं। यहां एक आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी और गीताप्रेस गोरखपुर की एक शाखा भी है। प्रवचन और कीर्तन मन्दिर की नियमित क्रियाएँ हैं। शाम को यहां भक्ति संगीत की आनन्द लिया जा सकता है। तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए यहाँ सैकड़ों कमरे हैं।

मोहनचट्टी

ऋषिकेश से नीलकण्ठ मार्ग के बीच यह स्थान आता है जिसका नाम है फूलचट्टी , मोहनचट्टी , यह स्थान बहुत ही शान्त वातावरण का है यहाँ चारो और सुन्दर वादियाँ है , नीलकण्ठ मार्ग पर मोहनचट्टी आकर्षण का केंद्र बनता है |

एम्स/AIIMS

यह हिन्दी-अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान अंग्रेजी- All India Institute of Medical Science का संक्षिप्त नाम है, भारत का दिल्ली के बाद यह देश का सबसे बड़ा चिकित्सालय है,अस्पताल परिसर 400 मीटर के दायरे में फैला है देखने योग्य भव्य ईमारत है,इसके कई भाग हैं-ट्रॉमा सेण्टर, Emergency आदि

कैसे जाएँ

वायुमार्ग

ऋषिकेश से 18 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। एयर इण्डिया, जेट एवं स्पाइसजेट की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को दिल्ली से जोड़ती है।

रेलमार्ग

ऋषिकेश का नजदीकी रलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो शहर से 5 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। और ऋषिकेश का आखरी स्टेशन है। इसके बाद आगे रेलवे लाइन नहीं जाती।

सड़क मार्ग

दिल्ली के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखण्ड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।

खरीददारी

ऋषिकेश में हस्तशिल्प का सामान अनेक छोटी दुकानों से खरीदा जा सकता है। यहाँ अनेक दुकानें हैं जहाँ से साड़ियों, बेड कवर, हैन्डलूम फेबरिक, कॉटन फेबरिक आदि की खरीददारी की जा सकती है। ऋषिकेश में सरकारी मान्यता प्राप्त हैण्डलूम शॉप, खादी भण्डार, गढ़वाल वूल और क्राफ्ट की बहुत सी दुकानें हैं जहाँ से उच्चकोटि का सामान खरीदा जा सकता है। इन दुकानों से कम कीमत पर समान खरीदे जा सकते है ।

सन्दर्भ

[१]

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