आवश्यक औषधि

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साँचा:asbox विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आवश्यक औषधियों (Essential medicines) की निम्नलिखित परिभाषा की है:

वे औषधियाँ जो बहुसंख्यक लोगों स्वास्थ्य संबन्धी आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं, 'आवश्यक औषधि' कहलाती हैं। इसलिए वे सदा पर्याप्त मात्रा में, समुचित रूप में तथा जनता द्वारा वहन करने योग्य मूल्य पर (सस्ते दर पर) उपलब्ध होनी चाहिए।[१]

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आवश्यक दवाओं की प्रादर्श सूची (मॉडल लिस्ट) भी प्रकाशित की है। इससे सहायता लेकर तथा अपनी स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हर देश को अपनी आवश्यक दवाओं की सूची बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस समय लगभग १५० देशों ने अपनी सूची तैयार कर ली है।

भारत में राष्‍ट्रीय औषधि मूल्‍यन नीति

भारत में राष्‍ट्रीय औषधि मूल्‍यन नीति-2012 की अधिसूचना 7 दिसम्‍बर, 2012 को जारी की गई थी। इसकी व्‍यवस्‍थाओं के अनुसार राष्‍ट्रीय आवश्‍यक औषधि सूची-2011 के अंतर्गत उल्‍लेखित औषधियों के सभी निर्माता/आयातकर्ता मूल्‍य नियंत्रण के दायरे में हैं। इन औषधियों का अधिकतम खुदरा मूल्‍य (एमआरपी) सरकार द्वारा इन औषधियों के लिए अधिसूचित अधिकतम मूल्‍य (स्‍थानीय कर अतिरिक्‍त) के बराबर या उससे कम होगा। राष्‍ट्रीय आवश्‍यक औषधि सूची-2011 में निर्धारित शक्ति और खुराक के आधार पर 614 औषधियों के नुस्‍खे हैं, जो 27 से अधिक उपचारात्‍मक श्रेणियों में हैं और देश की अधिकतर जनसंख्‍या की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी आवश्‍यकताओं के अनुरूप हैं।

औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश 2013

भारत सरकार द्वारा अधिसूचित औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश 2013 15 जुलाई से प्रभावी हो गया है। इसे 1995 के आदेश के स्थान पर लाया गया है। नये आदेश से राष्ट्रीय औषधि नीति के तहत 348 आवश्यक दवाओं के मूल्यों के नियमन का अधिकार मिल गया है। पहले के आदेश से केवल 74 दवाओं के मूल्यों को नियंत्रित किया गया था।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ