आदर्श सोसायटी घोटाला
आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मुम्बई की सहकारी गृह निर्माण सम्स्था 'आदर्श हाउसिंग सोसायटी' में हुआ व्यापक भ्रष्टाचार है। इस घोटाले का आरम्भ फरवरी 2002 में हुआ जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से निवेदन किया गया कि मुम्बई के हृदयस्थल में सेना से सेवानिवृत्त हुए तथा कार्यरत लोगों के लिए भूमि प्रदान की जाय। दस वर्ष की अवधि में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण तथा उच्च-स्तरीय राजनेता, नौकरशाह, सेना के अधिकारी आदि ने मिलकर नियमों को तोड़-मरोड़ दिया और कौड़ियों के दाम पर अपने नाम से इसमें फ्लैट ले लिया।
भेद खुलने पर अशोक चव्हाण को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। इसकी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जाण्न्च चल रही है तथा इसकी जाँच के लिए एक आयोग भी बैठाया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट दे दी है।
प्रमुख आरोपी
- आर. सी. ठाकूर
- ए. आर. कुमार
- एम. एम. वांच्छू
- कन्हय्यालाल गिडवानी
- जयराज फाटक
- टी. के. कौल
- पी. व्ही. देशमुख
- प्रदीप व्यास
- रामानंद तिवारी
कब, क्या हुआ?
आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस प्रकार है-[१]
- जुलाई 1999 : आदर्श सोसाइटी ने कोलाबा क्षेत्र में भूमि के लिए सरकार से सम्पर्क किया।
- नौ जुलाई 1999 : सरकारी प्रस्ताव के तहत सोसायटी को प्लाट आवंटित किया गया।
- चार अक्टूबर 2004 : मुंबई के जिलाधिकारी ने भूमि का कब्जा सोसायटी को सौंपा।
- 27 अक्टूबर 2009 : पश्चिमी नौसेना कमान को-ऑपरेटिव के उपपंजीयक से सोसायटी की विस्तृत जानकारी माँगी।
- 16 सितंबर 2010 : आदर्श सोसायटी एमएमआरडीए से कब्जा प्रमाणपत्र मिला।
- 25 अक्टूबर 2010 : नौसेना ने इस बात की पुष्टि की कि उसने सुरक्षा कारणों से आदर्श सोसायटी पर विरोध जताया है।
- 28 अक्टूबर 2010 : मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की सास और अन्य रिश्तेदारों के सोसायटी में फ्लैट हैं।
- 31 अक्टूबर 2010 : बृहन्मुम्बई बिजली आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने कब्जा प्रमाणपत्र माँगते हुए नोटिस जारी किया।
- तीन नवंबर 2010 : एमएमआरडीए ने आदर्श सोसायटी का कब्जा प्रमाणपत्र रद्द किया। बेस्ट ने सोसायटी की विद्युत आपूर्ति जबकि बीएमसी ने पानी की आपूर्ति बंद की। आदर्श सोसायटी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय जाएगा।
- नौ नवम्बर 2010 : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का इस्तीफा मंजूर।
- 11 नवम्बर 2010 : पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।
- 22 नवम्बर 2010 : आदर्श सोसायटी कब्जा प्रमाणपत्र रद्द करने तथा पानी और बिजली आपूर्ति काटे जाने के विरुद्ध उच्च न्यायालय पहुँचा।
- 21 दिसम्बर 2010 : उच्च न्यायालय ने कहा कि यह सीधे-सीधे धोखेबाजी का मामला है।
- 23 दिसम्बर 2010 : उच्च न्यायालय आदर्श सोसायटी को अंतरिम राहत देने से इनकार करने के साथ ही मामले की सुनवाई एक महीने के लिए स्थगित की।
- 16 जनवरी 2011 : केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए।
- 13 अप्रैल 2012 : अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई।
- 17 अप्रैल 2012 : कार्रवाई रिपोर्ट सदन में रखी गई थी।
- 18 अप्रैल 2013 : आयोग की जाँच रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंपा गया।
- दिसम्बर 2013 : विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन रिपोर्ट को सरकार ने सदन में रखा।
- 01 जनवरी 2014 : बहुत दबाव के बाद महाराष्ट्र सरकार ने रपट को आंशिक रूप से स्वीकार किया।
जाँच आयोग
जनवरी 2011 में आदर्श घोटाले की जांच के लिए किया गया था। जांच का उद्देश्य उस जमीन के मालिकाना हक समेत कई पहलुओं को देखना था जहां दक्षिण मुंबई में आदर्श हाउसिंग सोसायटी की 31 मंजिला इमारत बनी है। समिति को यह देखना था कि क्या यह करगिल युद्ध नायकों के परिवारों के लिए थी और क्या निर्माण के लिए अनुमति देते समय नियमों का उल्लंघन किया गया। आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन राज्य सरकार की थी, न कि रक्षा मंत्रालय की और न ही यह युद्ध विधवाओं के लिए आरक्षित थी।
जाँच रपट का सारांश
- रिपोर्ट में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित कई नेताओं को कानूनी प्रावधानों के गंभीर उल्लंघनों का दोषी ठहराया गया है।
- इसके अलावा कई नौकरशाहों के भी नाम इस रिपोर्ट में है।
- पैनल ने सोसायटी के 102 सदस्यों में से 25 को अयोग्य पाया और फ्लैटों की बेनामी खरीद फरोख्त के 22 मामले सामने आए।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि आदर्श सोसायटी को पूर्व मुख्यमंत्रियों विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और अशोक चव्हाण, पूर्व राजस्व मंत्री शिवाजीराव पाटिल, पूर्व शहरी विकास मंत्री सुनील तटकरे और पूर्व शहरी विकास मंत्री राजेश टोपे का राजनीतिक संरक्षण हासिल था। अशोक चव्हाण ऐसे अकेले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें सीबीआई द्वारा घोटाले में आरोपी बनाया है। लेकिन राज्यपाल के शंकरनारायणन ने कुछ दिन पहले जांच एजेंसी को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत देने से इंकार कर दिया।
सन्दर्भ
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