अहमद जान थिरकवा खान
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उस्ताद अहमद जान थिरकवा (अहमद जान खाँ) (1891-1976) अपने उस्ताद "थिरकवा" उप-नाम से संगीत जगत में प्रख्यात हुये। आपका जन्म मुरादाबाद (उ.प्र.) में संगीतज्ञों के परिवार में हुआ। आपको संगीत अपने पिता से विरासत में मिला। यहीं से संगीत की शिक्षा आरंभ हुई। कुछ वर्षों बाद बम्बई (मुम्बई) में उस्ताद मुनीर खाँ के शागिर्द बन गए और उन्हीं की देख-रेख में अभ्यास करते रहे। तबले पर अपनी थिरकती हुई उंगलियों के कारण आपको "थिरकवा" कहा जाने लगा।
उस्ताद थिरकवा के तीन पुत्र थे - नबी जान, मुहम्मद जान और अली जान।
आपके कई शिष्य भी प्रसिद्ध तबला वादक बने। जिनमें पंडित लालजी गोखले, पंडित प्रेम वल्लभ जी तथा पंडित निखिल घोष प्रमुख हैं। तथा कई विख्यात तबला वादक आपकी वादन से प्रभावित हुए जिनमें उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भी शामिल हैं।
उस्ताद 'थिरकवा' जी को कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन् १९७० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।