अल्ट्रासाउंड परिक्षण
अल्ट्रासाउंड परिक्षण में उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगों (High-frequency sound waves) का इस्तेमाल किया जाता है तथा इन तरंगों की मदद से शरीर के अंदर की तस्वीरें निकाली जाती हैं। अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी सुरक्षित स्कैन होते हैं, क्योंकि इनमें विकिरणों (Radiation) की जगह ध्वनि तरंगों या गूँज (Echoes) का इस्तेमाल किया जाता है।[१]
अल्ट्रासाउंड चित्र
अल्ट्रासाउंड परिक्षण से प्राप्त तस्वीर में हड्डी जैसे ठोस उत्तक सफेद और सौम्य उत्तक स्लेटी (ग्रे) और चितकबरे दिखाई देते हैं। तरल पदार्थ (जैसे एमनियोटिक द्रव्य, जिसमें शिशु रहता है), तरंगों के प्रति कोई प्रतिध्वनि नहीं करता, इसलिए तस्वीर में काला दिखाई देता है।[२]
अल्ट्रासाउंड परिक्षण के प्रकार
- डॉपलर अल्ट्रासाउंड
- प्रसूति अल्ट्रासाउंड
- 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड
- एकोकार्डियोग्राम अल्ट्रासाउंड
- कैरोटिड अल्ट्रासाउंड
- ट्राँसवजैनल अल्ट्रासाउंड (महिला के आँतरिक अंगों का निकट से चित्रण) [३]
अल्ट्रासाउंड से किस-किस प्रकार के चित्र प्राप्त होते हैं
- मूत्राशय
- मस्तिष्क (शिशुओं में)
- आंखें
- पित्ताशय
- गुर्दे
- जिगर
- अंडाशय
- अग्न्याशय
- तिल्ली
- थाइरोइड
- अंडकोष
- गर्भाशय
- रक्त वाहिकाएं [४]
मुख्य लाभ
चिकित्सा क्षेत्र में यह गर्भावस्था में शिशु के स्वास्थ्य, पथरी या पेट से जुड़ी बीमारियों व अन्य कई बीमारियों के बारे में जानकारी देता है। [५]
दुष्प्रभाव
शोधों में साबित हुआ है कि अल्ट्रासाउंड से निकलने वाली रेडियोएक्टिव तरंगों से होने वाले बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है और बच्चे के मानसिक विकास में बाधा आती है। पर यह परीक्षण और मशीन पर निर्भर है। इसके अतिरिक्त संबंधित व्यक्ति की स्थिति और सहनशीलता पर भी यह निर्भर करता है[६]।
सन्दर्भ
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