अरुंधति घोष
जुलाई 2013, वियना में सीटीबीटी कूटनीति और सार्वजनिक नीति पाठ्यक्रम पर अपनी राय देती हुई | |
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में भारत के स्थायी प्रतिनिधि
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पद बहाल 1995–1997 | |
मिस्र अरब गणराज्य में भारत की राजदूत
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पद बहाल 1992–1995 | |
जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शैक्षिक सम्बद्धता | लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज |
व्यवसाय | राजनयिक |
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अरुंधती घोष (25 नवंबर 1939 – 26 जुलाई 2016) एक पूर्व भारतीय राजनयिक थी। इन्होने आस्ट्रिया , मिस्र, दक्षिण कोरिया, हालैंड और कई अन्य देशों में राजदूत के रूप में काम किया था। ये संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत भी रह चुकी हैं।[१]
प्रारंभिक जीवन
अरुंधति घोष एक प्रमुख बंगाली परिवार से आती है। ये सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रूमा पाल और प्रसार भारती के पूर्व अध्यक्ष भास्कर घोष की बहन हैं। इनकी बेटी सागरीका घोष और दामाद राजदीप सरदेसाई वर्तमान में सीएनएन आईबीएन समाचार चैनल की भारतीय इकाई चलाने वाले प्रमुख पत्रकार हैं। ये एक सामाजिक कार्यकर्ता संजय घोष की चाची हैं, जिन्हें 1997 में असम में उल्फा द्वारा अपहरण कर लिया और मार डाला गया था।[२]
मुंबई में पली बढ़ी अरुंधति का बचपन मुंबई में ही बिता, जहां के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में इनकी प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न हुयी। उसके ये कोलकाता के लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1962 में इन्होने विश्व-भारती विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. किया।
राजनयिक कार्यक्षेत्र
1962 में ही इन्होने यूपीएससी का एग्जाम दिया और आईएफएस में सलेक्ट हो गई। ये मसूरी में शुरुआती ट्रेनिंग के बाद दिल्ली आई। यहां से इन्हें आस्ट्रिया स्थित भारतीय दूतावास में भेजा गया। उस वक्त विदेश सेवा वालों को विदेशी भाषा में परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होता था। इन्होने जर्मन भाषा की परीक्षा उत्तीर्ण तब कहीं जाकर इनकी सर्विस कन्फर्म हुई। उसके बाद इन्होने मिस्र, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों में राजदूत के रूप में काम किया। उसके बाद 1965 में हालैंड में इनकी पोस्टिंग हुई थी। उसके बाद ये संयुक्त राष्ट्र में राजदूत बनकर आ गयी जहां भारत के लिए काम करना उनके लिए काफी चुनौती पूर्ण था।[३]
इन्होने ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड, बेल्जियम,बांग्लादेश और न्यूयॉर्क (संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन में) और कोरिया गणराज्य, मिस्र में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया है। साथ ही पेरिस और जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों में यूनेस्को के निरस्त्रीकरण हेतु प्रतिनिधि तथा जिनेवा सम्मेलन में भी भागीदारी दी। ये 1997 में सेवानिवृत्त हुयी। सेवानिवृति के बाद 2001 से 2004 तक ये संघ लोक सेवा आयोग की सदस्य भी रही।[४]
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
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