अंडे की ज़र्दी
सबसे पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि अंडे के पीले भाग को जर्दी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, अंग्रेजी भाषा में इसे Egg Yolk भी कहते हैं। आगे चलकर यही भ्रूण की शक्ल लेता है जिसके कारण एक चूजा तैयार होता है
ऐसा माना जाता है कि भ्रूण में बहुत ज्यादा गर्मी होती है जो कई लोगों के लिए खाने के कुछ ही दिनों बाद नकारात्मक असर दिखाना शुरू कर देती है।
भोजन के रूप में अंडे की ज़र्दी विटामिन व खनिज तत्वों का प्रमुख स्रोत है। इस भाग में अंडे की संपूर्ण वसा और कोलेस्ट्रौल और प्रोटीन का लगभग पांचवां हिस्सा होता है।
यदि इस भाग को अण्डों को तलने हेतु ऐसे ही छोड़ दिया जाये तो, स्पष्ट सफ़ेद चित्तियों से घिरा ज़र्दी वाला भाग व्यंजन को एक विशिष्ट रूप देता है जिसमे सूर्य जैसा दिखने वाला पीला भाग ऊपर की ओर होता है। यदि इन दोनों हिस्सों को तलने से पहले मिला दिया जाये तो यह एक फीके पीले रूप में आ जाता है जैसा कि हम ऑमलेट और अंडे की भुर्जी में देखते हैं।
उपयोग
- कभी कभी अंडे की ज़र्दी को इसके सफ़ेद भाग से अलग करके व्यंजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है (मेयोनीज़, कस्टर्ड, हौलएंडाइस सॉस, क्रीम ब्रुली, एव्गोल्मोनो और ओवस मोल्स के लिए).
- इसे चित्रकारी में पारंपरिक एग-टेम्परा के एक तत्व के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- इसका प्रयोग एग-योक अगर प्लेट मीडियम को बनाने में किया जाता है जो क्लौस्ट्रीडियम परफ्रिन्जेंस की उपस्थिति की जांच के लिए प्रयोग में आता है।
- अंडे की ज़र्दी में शुक्राणु कोशिका प्रतिरक्षी भी होते हैं जिन्हें हम एंटीग्लोब्युलिन (IgY) कहते हैं। यह प्रतिरक्षी भ्रूण अंडे से निकले हुए चूजे को सूक्ष्मजीवों के आक्रमण से बचाने के लिए निष्क्रिय प्रतिरक्षा के माध्यम से अंडे देने वाली मुर्गी से अंडे की ज़र्दी में स्थानांतरित हो जाते हैं।
- अंडे की ज़र्दी का प्रयोग एडवोकाट जैसी शराब या एगनॉग जैसा मिश्रित पेय बनाने के लिए भी किया जाता है।
चूजे के अंडे की ज़र्दी का संघटन
ज़र्दी अंडे के तरल भाग के लगभग 33 प्रतिशत के बराबर होती है; इसमें लगभग 60 कैलोरी होती है यह अंडे के सफ़ेद भाग की कैलोरी की तीन गुना है।
एक बड़े अंडे में (कुल 50 ग्राम, ज़र्दी 17 ग्राम) लगभग 2.7 ग्राम प्रोटीन, 210 ग्राम कोलेस्ट्रौल, 0.61 ग्राम कर्बोहाइड्रेट और 4.51 ग्राम कुल वसा पायी जाती है। (यूएसडीए नैशनल न्यूट्रीएन्ट डाटाबेस)
वसा में घुलनशील सभी प्रकार के विटामिन (A, D, E और K) अंडे की ज़र्दी में पाए जाते हैं। अंडे की ज़र्दी उन कुछ खाद्य पदार्थों में से हैं जिसमे स्वाभाविक रूप से विटामिन D होता है।
अंडे की ज़र्दी में सबसे प्रचलित वसीय अम्लों (वज़न के अनुसार) का संघटन इस प्रकार होता है:[१]
- असंतृप्त वसीय अम्ल
- ओलिक एसिड, 47%
- लिनोलिक एसिड, 16%
- पाल्मीटोलेइक एसिड, 5%
- लिनोलेनिक एसिड, 2%
- संतृप्त वसीय अम्ल
- पाल्मीटिक एसिड, 23%
- स्टीएरिक एसिड, 4%
- मिरिस्टिक एसिड, 1%
अंडे की ज़र्दी लेसिथिन का स्रोत है जो एक पायासीकारक और पृष्ठसक्रियकारक होता है।
इसका पीला रंग ल्यूटिन और ज़ेक्सानथिन के कारण होता है जो पीले या नारंगी रंग के कैरोटिनौयड होते हैं इन्हें ज़ेंथोफिल्स के नाम से जाना जाता है।
दोहरी ज़र्दी वाले अंडे
किसी अंडे में दो ज़र्दियां पाए जाने की घटना तब होती है यदि उनका अण्डोत्सर्ग बहुत ज़ल्दी हो गया हो, या जब एक ज़र्दी दूसरे से जुड़ जाती है। इस प्रकार के अंडे युवा मुर्गी का प्रजनन चक्र नियमित न हो पाने के फलस्वरूप होते हैं।[२] मुर्गियों से कुछ संकर नस्लों के अण्डों में मूल रूप से दो ज़र्दियां होती हैं। ऐसे अंडे भारत में पश्चिम बंगाल में मिलते हैं और विशेषतः अरम्बाघ के अरम्बाघ मुर्गी पालन केन्द्रों में.
अनियमित प्रजनन चक्र के कारण कुछ मुर्गियां कभी कभार ही दोहरी ज़र्दी वाले अंडे दे पाती हैं। हालांकि आनुवंशिकता के कारण कुछ मुर्गियों में दोहरी ज़र्दी वाले अंडे देने की सम्भावना अधिक होती है, लेकिन युवा मुर्गियां जो अंडा देने की प्रारंभिक स्थिति में होती हैं उनमें प्रायः ऐसा होने का कारण कभी-कभी हो जाने वाली असामान्यता है।साँचा:category handler[<span title="स्क्रिप्ट त्रुटि: "string" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।">citation needed] आम तौर पर एक दोहरी ज़र्दा वाला अंडा साधारण अंडे की अपेक्षा अधिक लम्बा और पतला होता है। आम तौर पर दोहरी ज़र्दी वाले अण्डों से प्रायः सफलतापूर्वक चूजों के निकलने के लिए किसी मनुष्य की देख रेख की आवश्यकता होती है क्योंकि ऐसे में चूजे एक दूसरे की अंडे से बहार निकलने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने लगते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।[३]
ज़र्दीरहित अंडे
ज़र्दीराहित अण्डों को "ड्वार्फ" या "विंड" एग कहा जाता है।[४] इस प्रकार का अंडा प्रायः एक वर्ष से कम आयु वाली युवा मुर्गी के अंडा देने के प्रथम प्रयास द्वारा प्राप्त होता है और ऐसा उसके प्रजनन तंत्र के पूर्ण रूप से विकसित न हो पाने के कारण होता है। एक वयस्क मुर्गी द्वारा एक विंड एग दिया जाना असामान्य है, लेकिन फिर भी ऐसा हो सकता है यदि उसके कुछ प्रजनन संबंधी ऊतक टूट जायें जिससे कि अंडे का निर्माण करने वाली ग्रंथियां इसके अंडनलिका से गुजरने के दौरान इसे ही ज़र्दी वाला भाग समझकर एल्ब्युमेन, झिल्लियों और कवच में लपेट दें। ऐसा हुआ भी है किन्तु उस अवस्था में जब अंडे में ज़र्दी के स्थान पर ग्रे रंग के ऊतक का एक छोटा कण पाया जाता है। ज़र्दी रहित अंडे के लिए उपयोग किए जाने वाला एक प्राचीन शब्द "कॉक एग" है।[५] चूंकि इन अण्डों में ज़र्दी नहीं होती है और यह बच्चे नहीं दे सकते, इसलिए पारंपरिक रूप से यह धारणा थी कि ये अंडे मुर्गों द्वारा दिए गए हैं।साँचा:fix पक्षियों की कई प्रजातियां इस प्रकार के अंडे देती हैं। इस प्रकार के अंडे सामान्य और बैंटम दोनों प्रकार के चूजों में तथा गिनी एवम कोट्रनिक्स बटेर (अन्य नाम जापानी बटेर) में भी पाए जाते हैं। अन्य असाधारण अंडे
दीर्घा
अन्य असामान्य अंडे:
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
yolk को विक्षनरी में देखें जो एक मुक्त शब्दकोश है। |
- एक्स्प्लोराटोरियम से अंडा का एक शारीरिक रचना
- अमेरिका कृषि विभाग के कृषि विपणन सेवा द्वारा अंडे
- मेकिंग एग टेम्पेरा फ्रॉम द सोसायटी ऑफ़ टेम्पेरा पेंटर्स
- ↑ राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद, 1976, फैट कंटेंट एंड कॉमपोजीशन ऑफ़ एनीमल प्रोडक्ट्स, मुद्रण और प्रकाशन कार्यालय, नैशनल अकैडमी ऑफ साइंस, वॉशिंगटन, डी.सी., ISBN 0-309-02440-4; पृष्ठ 203, ऑनलाइन एडिशन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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