अंतर्बीजाणु
अंतर्बीजाणु (endospore) फ़र्मीक्यूटीस संघ की कुछ बैक्टीरिया जातियों द्वारा बनाया जाने वाला एक कठोर व निष्क्रय ढांचा होता है।[१] हालांकि इसका नाम और रूप बीजाणु व बीज से मिलता है, यह प्रजनन से असम्बन्धित है। यह किसी बैक्टीरिया कोशिका का प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वयं को सिकोड़कर व अपनी अधिकांश जीव-प्रक्रियाओं को बहुत धीमा कर के या रोककर बनाया गया रूप होता है। इस रूप में बैक्टीरिया बहुत लम्बे काल तक अंतर्बीजाणु बना रह सकता है और परिस्थितियाँ सुधरने पर पुनः सक्रीय हो जाता है। यह अंतर्बीजाणु अवस्था अक्सर पोषक तत्वों, जल या आहार के आभाव में देखी जाती है।[२]
अंतर्बीजाणु रूप में बैक्टीरिया कभी-कभी शताब्दियों तक बचा रह सकता है। कई वैज्ञानिकों ने 10,000 वर्षों से अधिक आयु के अंतर्बीजाणुओं के पुनः सक्रीय हो जाने की ख़बर दी है और दसियों लाख वर्ष से निष्क्रय अंतर्बीजाणु के सक्रीय हो जाने के दावे भी मिले हैं। एक समाचार के अनुसार नमक क्रिस्टलों में मिले बैसिलस मैरिसमोरटुई (Bacillus marismortui) के 25 करोड़ वर्ष पुराने अंतर्बीजाणु मिले हैं जो अभी भी जीवित हैं।[३][४] अधिकांश बैक्टीरिया स्वयं को अंतर्बीजाणु बनाने में सक्षम नहीं हैं। बैसिलस ऐसे बैक्टीरिया का उदाहरण है जिसमें यह क्षमता है। अंतर्बीजाणुओं का अध्ययन करने पर इनमें बैक्टीरिया का डी॰ऍन॰ए॰, राइबोसोम और डिपिकोलिनिक अम्ल मिलता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि डिपिकोलिनिक अम्ल बैक्टीरिया को निष्क्रय अवस्था में रखने के लिए सहायक है और अंतर्बीजाणुओं में लगभग 10% भार इसी अम्ल का होता है।[५]