नई दिल्ली

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नई दिल्ली
—  राजधानी  —
उत्तरी ब्‍लॉक
उत्तरी ब्‍लॉक
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश साँचा:flag
केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली
ज़िला नई दिल्ली
' १९११
उप - राज्यपाल अनिल बैजल
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल
जनसंख्या
घनत्व
महानगर
२,४९,९९८ (साँचा:as of)
साँचा:convert
• १३,८५०,५०७
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
४२.७ कि.मी² (१६ वर्ग मील)
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आधिकारिक जालस्थल: [http://साँचा:url साँचा:url]

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नई दिल्ली (साँचा:lang-en) भारत की राजधानी है। यह भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के केंद्र के रूप में कार्य करती है। नई दिल्ली दिल्ली महानगर के भीतर स्थित है, और यह दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के ग्यारह ज़िलों में से एक है। भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) था। अंग्रेज शासकों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्‍ली को राजधानी बनाया जाए तो बेहतर होगा क्‍योंकि यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा। इस पर विचार करने के बाद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्‍ली ले जाने के लिए आदेश दे दिए।

वर्ष 2011 में दिल्ली महानगर की जनसंख्या 168 लाख थी।[१] दिल्ली की जनसंख्या इसे दुनिया में पाँचवीं सबसे अधिक आबादी वाला, और भारत का सबसे बड़ा महानगर बनाती है। क्षेत्रफल के अनुसार से भी, दिल्ली दुनिया के बड़े महानगरों में से एक है। मुम्बई के बाद, वह देश का दूसरा सबसे अमीर शहर है, और दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद दक्षिण, पश्चिम और मध्य एशिया के शहरों में दूसरे नम्बर पर आता है। नई दिल्ली अपनी चौड़ी सड़कों, वृक्ष-अच्छादित मार्गों और देश के कई शीर्ष संस्थानो और स्थलचिह्नों के लिए जानी जाती है।

1911 के दिल्ली दरबार के दौरान, 15 दिसम्बर को शहर की नींव भारत के सम्राट, जॉर्ज पंचम ने रखी[२], और प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लुट्यन्स और सर हर्बर्ट बेकर ने इसकी रूपरेखा तैयार की। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्धघाटन हुआ।[३]

बोलचाल की भाषा में हालाँकि दिल्ली और नयी दिल्ली यह दोनों नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं, मगर यह दो अलग-अलग संस्था हैं और नयी दिल्ली, दिल्ली महानगर का छोटा सा हिस्सा है।

इतिहास

स्थापना

1903, दिल्ली दरबार में प्रवेश लेते हुए लॉर्ड कर्जन तथा लेडी कर्जन
1911 का दिल्ली दरबार, मंच पर बैठे हुए जाॅर्ज पंचम तथा रानी मैरी।

दिसंबर 1911 तक ब्रिटिश राज के दौरान भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) थी। दिल्ली, प्राचीन भारत और दिल्ली सल्तनत के कई साम्राज्यों के राजनीतिक और वित्तीय केंद्र के रूप में रह चुकी थी, खासकर 1694 से 1857 तक चले मुगल साम्राज्य के शासन के दौरान। सन् 1900 की शुरुआत के दौरान, ब्रिटिश प्रशासन को ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य की राजधानी पूर्व तट के कलकत्ता से, दिल्ली बदलने का प्रस्ताव सौपा गया।[४] ब्रिटिश भारत सरकार ने महसूस किया की उत्तरी भारत के केंद्र में, दिल्ली से भारत का प्रशासन करना आसान होगा।[४] दिल्ली के नए शहर के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के अंतर्गत की गई।[५]

12 दिसंबर 1911 को, दिल्ली दरबार के दौरान, कोरोनेशन पार्क, किंग्सवे कैम्प[६][७] (अब गुरूतेग बहादुर नगर) में वाइसरॉय के निवास के लिए नींव रखते हुए, तत्कालीन भारत के सम्राट, जाॅर्ज पंचम तथा उनकी रानी मैरी[८][९] द्वारा घोषणा की गई कि शासन की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली में स्थानांतरित किया जाएगा| 15 दिसंबर 1911 को किंगवेज़ कैम्प में अपनी शाही यात्रा के दौरान, जाॅर्ज पंचम और रानी मैरी ने 1911 के दिल्ली दरबार पर नई दिल्ली की नींव रखी।[१०] नई दिल्ली के बड़े हिस्सों के निर्माण की योजना एड्विन लुटियंस, जिन्होंने पहली बार 1912 में दिल्ली का दौरा किया था तथा हर्बर्ट बेकर ने की थी, दोनों 20 वीं सदी के ब्रिटिश वास्तुकारों के प्रमुख थे।[११] निर्माण का अनुबंध सोभा सिंह को दिया गया। निर्माण का कार्य तुग़लक़ाबाद में तुग़लक़ाबाद के किले से शुरू किया जाना था, लेकिन यह दिल्ली-कलकत्ता ट्रंक लाइन की वजह से रोक दिया गया, जो कि किले से होकर गुजरती थी। वास्तव में निर्माण कार्य प्रथम विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ और 1931 में पूर्ण हुआ। शहर का नाम बदलकर " लुटियंस दिल्ली " कर दिया गया, जिसका उद्घाटन 10 फरवरी 1931 को, तत्कालीन भारत के महाराज्यपाल, लॉर्ड इर्विन द्वारा किया गया|[१२] एड्विन लुटियंस ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को आधारभूत मानकर शहर के केंद्रीय प्रशासनिक क्षेत्रों का निर्माण किया था|[१३][१४]

जल्द ही लुटियंस ने अन्य स्थानों के निर्माणों पर विचार करना शुरू कर दिया। दरअसल, दिल्ली के निर्माण की योजना बनाने के लिए स्थापित, दिल्ली टाउन प्लानिंग कमेटी, अध्यक्ष के रूप में जॉर्ज स्विन्टन तथा सदस्यों के रूप में जॉन ए ब्रोडी और एड्विन लुटियंस ने उत्तर तथा दक्षिण दोनों जगहों के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत की। परन्तु, अधिक लागत होने के कारण वाइसरॉय ने इसे अस्वीकार कर दिया। नई दिल्ली की केंद्रीय धुरी, जो इण्डिया गेट के पूर्व में है, इसे उत्तर-दक्षिण धुरी बनाना था , जिसे एक अंत पर राष्ट्रपति भवन तथा दूसरे अंत पर पहाड़गंज से जोड़ने की योजना थी। परियोजना के प्रारंभिक वर्षों के दौरान, कई पर्यटकों का मानना ​​था कि यह धरती को स्वर्ग से जोड़ने वाला एक द्वार था।[१५]

आखिरकार, जगह की कमी सम्बन्धी बाधाओं और उत्तर में बड़ी संख्या में ऐतिहासिक स्थलों की उपस्थिति के कारण, समिति ने दक्षिणी भाग का चयन किया।[१६] रायसीना की पहाड़ी के ऊपर एक स्थल , पहले रायसीना गांव, एक मेव गांव को राष्ट्रपति भवन के निर्माण लिए चुना गया, जिसे तब वायसराय हाउस के रूप में जाना जाता था। इस पसंद का कारण यह था कि पहाड़ी सीधे दीनपनाह गढ़ के सामने स्थित थी, जिसे दिल्ली के प्राचीन क्षेत्र इन्द्रप्रस्थ का स्थल भी माना जाता था। इसके बाद, नींव का पत्थर 1911-1912 के दिल्ली दरबार से स्थानांतरित किया गया, जहां कोरोनेशन स्तंभ खड़ा था और सचिवालय के फोरकोर्ट की दीवारों में जड़ा था। राजपथ, जिसे किंग्स वे के नाम से भी जाना जाता है, इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक फैला हुआ है। सचिवालय भवन, जिसमें से दो विभाग राष्ट्रपति भवन और भारत सरकार के मंत्रालयों और संसद भवन , दोनों बेकर द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं, संसद मार्ग पर स्थित हैं और राजपथ के समानांतर चलते हैं।

1931 का एक रुपया स्टैम्प, जाॅर्ज पंचम को "सचिवालय बिल्डिंग" और "डोमिनियन कॉलम" के साथ दिखाते हुए ।

दक्षिण में, सफदरजंग के मकबरे तक की भूमि का निर्माण करने के लिए अधिग्रहण किया गया था, जिसे आज लुटियंस का बंगला के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। [१७] रायसीना हिल के चट्टानी तट पर निर्माण शुरू होने से पहले, अगले बीस वर्षों के लिए निर्माण सामग्री और श्रमिकों के परिवहन के लिए, इम्पीरियल दिल्ली रेलवे नामक एक गोलाकार रेलवे लाइन का निर्माण, काउंसिल हाउस (वर्तमान संसद भवन ) के चारों ओर किया गया । आखिरी समस्या आगरा -दिल्ली रेलवे लाइन थी, जो हेक्सागोनल ऑल-इंडिया वॉर मेमोरियल ( इंडिया गेट ) और किंग्सवे ( राजपथ ) के लिए तय किए गए स्थान के माध्यम से कट रही थी, जो एक समस्या थी क्योंकि उस समय पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, पूरे शहर के परिवहन की पूर्ति करता था । रेलवे लाइन को स्थानांतरित करके यमुना नदी के साथ कर दिया गया, और यह 1924 में संचालित होना प्रारंभ हो गई। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन 1926 में, अजमेरी गेट पर पहाड़गंज के पास एक एकल प्लेटफॉर्म के साथ खोला गया, और 1931 में शहर के उद्घाटन के समय पूरा हुआ।[१८][१९] जब वाइसराय हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन), केंद्रीय सचिवालय , संसद भवन और अखिल भारतीय युद्ध स्मारक ( इंडिया गेट ) का निर्माण समापन पर था, एक शॉपिंग जिले और एक नया प्लाजा, कनॉट प्लेस का निर्माण 1929 में आरंभ हुआ, और 1933 तक समाप्त हुआ। इसका नाम कनॉट के प्रथम राजकुमार प्रिंस आर्थर(1850-1942) के नाम पर रखा गया, इसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मुख्य वास्तुकार, रॉबर्ट टॉर रसेल द्वारा डिजाइन किया था।[२०]

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थानांतरित होने के बाद, 1912 में कुछ ही महीनों में उत्तरी दिल्ली में एक अस्थायी सचिवालय भवन का निर्माण किया गया। नई राजधानी के उद्घाटन के एक दशक पूर्व पुरानी दिल्ली के पुराने सचिवालय से नई राजधानी के अधिकांश सरकारी कार्यालय यहाँ स्थानांतरित कर दिया गए थे। बंगाल प्रेसीडेंसी तथा मद्रास प्रेसिडेंसी सहित भारत के सुदूर हिस्सों से, कई कर्मचारियों को नई राजधानी में लाया गया था। इसके साथ ही, 1920 के दशक में, गोल मार्केट में उनके आवास के लिए घरों का निर्माण भी किया गया।[२१] 1940 के दशक में, उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारियों के लिए बंगलों का निर्माण लोधी एस्टेट के निकट किया गया। लोधी गार्डन के निकट लोधी कॉलोनी, ब्रिटिश राज द्वारा निर्मित अंतिम आवासीय क्षेत्र था ।[२२]

आजादी के बाद

राष्ट्रपति भवन, भारत के राष्ट्रपति का आवास

1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद , नई दिल्ली को सीमित स्वायत्तता प्रदान की गई तथा यहाँ का प्रशासन भारत सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य आयुक्त द्वारा किया गया। 1966 में, दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया गया, तथा मुख्य आयुक्त को उपराज्यपाल द्वारा बदल दिया गया। संविधान (उनहतरवां संशोधन) अधिनियम, 1991 के अंतर्गत दिल्ली केन्द्रशासित प्रदेश को औपचारिक रूप से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रूप में बदल दिया गया|[२३] प्रदेश में चुनी हुई सरकार को कानून और व्यवस्था के अतिरिक्त व्यापक अधिकार दिए गए, कानून और व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन की गई। कानून का वास्तविक प्रवर्तन 1993 में आया।

लुटियंस दिल्ली के बाहर नई दिल्ली का पहला बड़ा विस्तार 1950 के दशक में किया गया, जब केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने चाणक्य पुरी के राजनयिक एन्क्लेव को बनाने के लिए, लुटियंस दिल्ली के दक्षिण पश्चिम भाग में, भूमि का एक बड़ा क्षेत्र विकसित किया तथा शांति पथ के आसपास दूतावासों, उच्च आयोगों और राजदूतों के निवास के लिए भूमि आवंटित की गई|[२४]

भूगोल

नई दिल्ली शहर, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भीतर स्थित है।

साँचा:convert के कुल क्षेत्रफल के साथ, नई दिल्ली, दिल्ली महानगर का एक छोटा सा हिस्सा है।[२५] चूंकि शहर सिन्धु-गंगा के मैदान पर स्थित है, इसलिए शहर भर की ऊंचाई में अंतर है। नई दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र कभी अरावली की पहाडियों का हिस्सा थे, आज उन पहाड़ियों का कुछ हिस्सा बचा है, जो की दिल्ली रिज है, जिन्हें दिल्ली के फेफड़ों के नाम से भी जाना जाता है। नई दिल्ली यमुना नदी के बाढ़ के मैदान पर स्थित है। नदी के पूर्व में शाहदरा का नगरीय क्षेत्र है । नई दिल्ली, भूकंपीय क्षेत्र- IV के अन्दर आती है, जिसके कारण, इस क्षेत्र की भूकंप की चपेट में आने की सम्भावना बनी रहती है।[२६]

भूकंप विज्ञान

नई दिल्ली में आने वाले भूकंप में से ज्यादातर हल्के तीव्रता के होते हैं। 2011 और 2015 के बीच में भूकंपों की संख्या में वृद्धि हुई, जिनमें से 2015 में 5.4 तीव्रता का भूकंप सबसे अधिक तीव्रता का था, जिसका उपरिकेंद्र नेपाल था। 25 नवंबर 2007 को 4.7-तीव्रता का भूकंप, 7 सितंबर 2011 को 4.2-तीव्रता का भूकंप, 5 मार्च 2012 को 5.2-तीव्रता का भूकंप, तथा 12 नवंबर 2013 को चार 2.5, 2.8, 3.1 और 3.3 की तीव्रता वाले भूकंप सहित बारह भूकंप आए।

जलवायु

नई दिल्ली की जलवायु, गर्म अर्द्ध शुष्क जलवायु ( कोपेन BSh) तथा शुष्क-शीतकालीन आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु ( कोपेन Cwa) की सीमा पर है। यहाँ गर्मी और सर्दियों दोनों के तापमान और वर्षा के संदर्भ में उच्च भिन्नता होती है। गर्मियों में तापमान साँचा:convert से लेकर सर्दियों में लगभग साँचा:convert तक होता है। यहाँ की जलवायु, अन्य नम उपोष्णकटिबंधीय जलवायु के शहरों से काफ़ी अलग है। यहाँ धूल की आंधी के साथ लंबी और बहुत गर्म ग्रीष्म ऋतु होती है, अपेक्षाकृत शीत ऋतु, सूखी और धुंध के साथ, हल्की सर्दियो वाली होती है। ग्रीष्मकाल के बीच में होने वाले मानसून के मौसम के साथ, ग्रीष्मकाल शुरुआती अप्रैल से अक्टूबर तक होता है, शीतकाल नवंबर के माह से शुरू होता है तथा जनवरी में सबसे अधिक सर्दी होती है। यहाँ का वार्षिक औसतन तापमान लगभग साँचा:convert है, जबकि मासिक दैनिक औसतन तापमान लगभग साँचा:convert के बीच होता है। नई दिल्ली का उच्चतम तापमान साँचा:convert, 26 मई 1998 को दर्ज किया गया, जबकि अब तक का सबसे कम तापमान साँचा:convert 11 जनवरी 1967 को दर्ज किया गया, दोनों ही तापमान इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे(पूर्व पालम हवाई अड्डा) पर दर्ज किए गए है।[२७] औसतन वार्षिक वर्षा साँचा:convert है, जिसमें से अधिकांशतः जुलाई और अगस्त माह में मानसून के दौरान होती है। [२८]

हवा की गुणवत्ता

2015 के, मर्सर के, वार्षिक जीवन की गुणवत्ता के 230 शहरों के सर्वेक्षण मे, खराब हवा की गुणवत्ता और प्रदूषण के कारण, नई दिल्ली 154वें स्थान पर थी।[२९][३०] 2014 मे, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जाँचे गए दुनिया के 1600 शहरों मे, नई दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित शहर था। [३१][३२][३३][३४] 2016 में, संयुक्त राज्य अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी ने नई दिल्ली को पृथ्वी के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में सूचीबद्ध किया।[३५][३६]

सर्दियों के दौरान, नई दिल्ली में वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ जाता है, इसको कम करने के प्रयास में, दिसंबर 2015 में दिल्ली सरकार द्वारा कारों के लिए, विषम और सम संख्या वाली लाइसेंस प्लेट सिस्टम का उपयोग करके, एक अस्थायी वैकल्पिक दिन यात्रा की योजना घोषित की गई। इसके साथ ही, ट्रकों को रात 11 बजे के बाद ही, दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी गई।[३४] इस प्रतिबंध को परीक्षण के रूप में, 1 जनवरी 2016 से 15 दिनों की प्रारंभिक अवधि के लिए लागू करने की योजना बनाई गई थी। प्रतिबंध सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे के बीच लागू किया गया और रविवार को यातायात में किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं लगाया गया।[३७] प्रतिबंध अवधि के दौरान सार्वजनिक परिवहन सेवा को बढ़ा दिया गया।[३४]

16 दिसंबर 2015 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली की परिवहन प्रणाली पर कई प्रतिबंधों को अनिवार्य कर दिया। अदालत ने 31 मार्च 2016 तक 2,000 cc और इससे अधिक इंजन क्षमता वाली डीजल कारों और स्पोर्ट यूटिलिटी वाहनों के पंजीकरण पर रोक का आदेश दिया। साथ ही अदालत ने दिल्ली की सभी टैक्सियों को 1 मार्च 2016 के बाद से, केवल संपीड़ित प्राकृतिक गैस का उपयोग करने का आदेश भी दिया, इसके अतिरिक्त, 10 साल से अधिक पुराने परिवहन वाहनों को राजधानी में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।[३८]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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