सुरेन्द्र मोहंती

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सुरेन्द्र मोहंती
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सुरेन्द्र मोहंती ओड़िया के ऐसे कथाकारों में से हैं जो भारत की स्वतंत्रता के बाद तेज़ी से प्रकाश में आए। अलंकारिक शैली के इस कथाकार की कहानियों के विषयों का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। उनका जन्म 1920 में हुआ तथा देहांत 1992 में।[१] अनेक साहित्यिक पुरस्कारों के विजेता सुरेंद्र मोहंती ने कहानियों के अतिरिक्त उपन्यास, यात्रा विवरण, आलोचना, रुपक और जीवनियों की ५० से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। महानगरीर रात्रि (महानगर की रात्रि), मालारेर मृत्यु (हंस की मृत्यु), अंध दिगंत (अंधेरा क्षितिज) और महानिबान (महानिर्वाण) उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। उनकी कृति नीलशिला से उन्हें बहुत प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह हैं यदुबंश ओउ अन्य गल्प (यदुवंश तथा अन्य कहानियाँ), राजधानी ओउ अन्य गल्प (राजधानी तथा अन्य कहानियाँ), कृष्न चूड (मयूरपंख) और रूटी ओऊ चंद्र।[२] ४ अक्टूबर १९८४ में विजयदशमी के दिन स्थापित संबाद नामक उड़िया के सबसे लोकप्रय समाचरपत्र के पहले संपादक सुरेन्द्र मोहंती ही थे। बाद मे वे उसके प्रमुख संपादक भी बने।[३] इनके द्वारा रचित एक उपन्यास नील शैल के लिये उन्हें सन् १९६९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (ओड़िया) से सम्मानित किया गया।[४]


सन्दर्भ